जानिए आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका की तबाही की कहानी

कोलंबो आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को राहत मिलने का आसार नजर नहीं आ रहे हैं।

Update: 2022-07-13 05:36 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोलंबो आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को राहत मिलने का आसार नजर नहीं आ रहे हैं। नौबत यहां तक आ गई है कि बुधवार को देश के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे भी देश छोड़कर भाग चुके हैं। फिलहाल, राष्ट्रपति आवास पर नागरिकों का कब्जा है। खबर है कि देश में सुरक्षा बल तैनात हैं और संभावित इस्तीफे से पहले राजपक्षे मालदीव्स पहुंच गए हैं।

2 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाला श्रीलंका में बिजली, भोजन, ईंधन तक का संकट गहराया हुआ है। ऐसे में महंगाई और दवाओं की कमी ने स्थिति और बदतर कर दी है। हालांकि, श्रीलंका में तबाही की यह कहानी नई नहीं है। महीनों से संकट से जूझ रहे देश के हालात अप्रैल से बिगड़ना शुरू हो गए थे।
1 अप्रैल: आपातकाल लगा
श्रीलंका में विरोध प्रदर्शन के बाद राजपक्षे ने अस्थाई तौर पर आपातकाल का ऐलान किया था। उस दौरान सुरक्षा बलों को संदिग्धों को गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने की शक्तियां दी गई थी।
3 अप्रैल: कैबिनेट ने इस्तीफा दिया
देर रात हुई एक बैठक में श्रीलंका सरकार के लगभग सभी कैबिनेट मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था। तब राजपक्षे और उनके भाई प्रधानमंत्री महिंद्रा को अलग रखा गया था। इसके एक दिन बाद ही सेंट्रल बैंक के गवर्नर ने भी इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया था।
5 अप्रैल: राष्ट्रपति ने खोया बहुमत
नियुक्ति के एक दिन बाद ही सरकार में वित्त मंत्री अली साबरे ने इस्तीफा दे दिया था। इसके चलते राष्ट्रपति राजपक्षे की मुश्किलें और बढ़ती गईं। इधर, नेताओं ने संसद में अपना बहुमत भी खो दिया था। राष्ट्रपति ने देश से आपातकाल हटाया।
10 अप्रैल: दवाओं के लिए हाहाकार
देश के डॉक्टर्स ने जरूरी दवाओं की कमी की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि कोरोनावायरस के मुकाबले जारी संकट से ज्यादा लोगों की मौत हो सकती है।
19 अप्रैल: पहली मौत
देश में बढ़ते संकट के बीच हिंसक प्रदर्शन भी रफ्तार पकड़ चुके थे। खबर आई कि पुलिस ने एक प्रदर्शनकारी को मार दिया है। खास बात है मौत की पहली घटना थी।
9 मई: हिंसा, हिंसा और हिंसा
सरकार समर्थक भीड़ सक्रिय हुई और शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कोलंबो स्थित राष्ट्रपति कार्यालय का रुख किया। इसके बाद हुई हिंसा में 9 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए। उस दौरान भीड़ ने हिंसा और सांसदों के घरों को आग लगाने के लिए जिम्मेदार लोगों को लक्ष्य बनाया था।
महिंद्रा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री के तौर पर इस्तीफा दिया। खास बात है कि हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी उनके कोलंबो स्थित आवास में पहुंच गए थे, जिसके चलते राजपक्षे को सैनिकों ने बचाया। इसके बाद पद पहले भी पीएम रह चुके रनिल विक्रमसिंघे ने संभाला।
10 मई: गोली मारने के आदेश
लूट या जीवन को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में शामिल लोगों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए। श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय की तरफ से ऑर्डर जारी हुए। हालांकि, प्रदर्शनकारियों ने सरकार की तरफ से लगाए गए कर्फ्यू को नहीं माना। कोलंबो में शीर्ष पुलिस अधिकारी पर हमला हुआ और उनके वाहन को आग लगा दी गई।
27 जून: ईंधन की बिक्री थमी
पहले ही भयंकर कमी का सामना कर रहे देश वासियों को 27 जून को बड़ा झटका लगा। सरकार ने कहा कि श्रीलंका में ईंधन लगभग खतम हो चुका है और जरूरी सेवाओं को छोड़कर पेट्रोल की बिक्री पर रोक लगा दी गई।
1 जुलाई: महंगाई ने बनाया नया रिकॉर्ड
सरकार की तरफ से आंकड़े जारी किए गए। इससे पता चला की श्रीलंका में लगातार 9वें महीने महंगाई अपने उच्च स्तर पर है।
9 जुलाई: राष्ट्रपति के घर पर प्रदर्शनकारियों का हल्ला बोल
प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो स्थित राष्ट्रपति राजपक्षे के आवास पर कब्जा कर लिया। हालांकि, इस घटना के पहले ही राजपक्षे अपने आवास से भाग गए थे। इधर, विक्रमसिंघे के आवास को भी आग लगा दी गई थी। स्पीकर महिंद्रा अबेवर्धन ने बयान दिया कि राजपक्षे ने 13 जुलाई को पद छोड़ने की बात कही है।

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राष्ट्रपति राजपक्षे पत्नी और बच्चों के साथ सैन्य विमान में मालदीव्स भाग गए।
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