परिवार पालने के लिए अमेरिका में कैब चला रहे अफगानिस्तान के पूर्व वित्त मंत्री खालिद पायेंड
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से कुछ दिन पहले इस्तीफा देने वाले देश के तत्कालीन वित्त मंत्री खालिद पायेंड अब अमेरिका के वाशिंगटन में कैब ड्राइवर के तौर पर काम कर रहे हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान के कब्जे से कुछ दिन पहले इस्तीफा देने वाले देश के तत्कालीन वित्त मंत्री खालिद पायेंड (Khalid Payenda) अब अमेरिका के वाशिंगटन में कैब ड्राइवर के तौर पर काम कर रहे हैं. खालिद जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय में एक सहायक प्रोफेसर के रूप में भी काम करते हैं, जहां उन्हें प्रति सेमेस्टर 2,000 डॉलर मिलते हैं. अशरफ गनी (Ashraf Ghani) सरकार में आखिरी विदेश मंत्री रहे खालिद ने वाशिंगटन पोस्ट को इंटरव्यू दिया है. जिसमें उन्होंने बताया कि वह कैसे अपनी पत्नी और चार बच्चों का पालन पोषण कर रहे हैं.
मंत्री के पद पर अपने आखिरी दिनों को याद करते हुए खालिद ने कहा कि उन्होंने वित्त मंत्री के पद से उस वक्त इस्तीफा दिया था, जब अशरफ गनी ने एक लेबनानी कंपनी को भुगतान करने में उनके मंत्रालय की विफलता के लिए एक बैठक में उन्हें आगे कर दिया था. गनी के अपने प्रति बर्ताव को देखकर उन्हें इस बात का डर सताने लगा था कि गनी उन्हें झूठे आरोप में गिरफ्तार करवा सकते हैं. खालिद के अमेरिका आने से एक हफ्ते पहले ही उनका परिवार यहां आ गया था. उन्होंने बताया, 'फिलहाल, मेरे पास कोई जगह नहीं है. मैं यहां से ताल्लुक नहीं रखता हूं और ना ही यहां का होना चाहता हूं. काफी खालीपन महसूस होता है.'
'हमने अपने लोगों को धोखा दिया'
पूर्व मंत्री के अनुसार, जब अमेरिका ने अफगानों को छोड़ दिया, तब अफगानिस्तान में सुधार को लेकर इच्छाशक्ति नहीं थी. उन्होंने बताया कि उन्हें अफगानिस्तान पर कब्जे की खबर पहले टेलीविजन और फिर ट्विटर से मिली. उन्होंने इंटरव्यू में कहा, 'हमने एक ताश के पत्तों का घर बनाया था, जो तेजी से गिर गया. वो घर, जो भ्रष्टाचार की नींव पर बना था. सरकार में हममें से कुछ ने चोरी करना बेहतर समझा, जबकि हमारे पास एक आखिरी मौका था. हमने अपने लोगों को धोखा दिया है.'
पहले भी छोड़ चुके हैं देश
खालिद के साथ सरकार में मंत्री रहे कुछ अन्य लोगों ने बाद में एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया था, जिसमें उन लोगों के प्रति गुस्सा जाहिर किया गया, जो देश छोड़कर भाग गए. खालिद ने कहा कि उन्होंने खुद को इन सबसे दूर कर लिया था, क्योंकि उनके पास कहने को कुछ नहीं था. ऐसा पहली बार नहीं है, जब खालिद पांडेय ने अपना देश छोड़ा है. इससे पहले वह 1992 में 11 साल की उम्र में अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे, उस वक्त अफगानिस्तान में गृह युद्ध चल रहा था. उन्होंने बताया, 'एक दशक बाद, जब अमेरिकियों ने तालिबान को उखाड़ फेंका, तो हम अफगानिस्तान के पहले निजी विश्वविद्यालय की सह-स्थापना करने के लिए लौट आए थे.'