काबुल : एयरपोर्ट पर करीब ढाई लाख लोगों की भीड़ भूखे-प्यासे दम तोड़ रहे, एयरपोर्ट से उड़ने वाली प्लेन को मिसाइल अटैक का डर
ब्रिटेन के डिफेंस सेक्रेट्री ने भी कहा है कि अफगानिस्तान में रेस्क्यू ऑपरेशन और तेज करना होगा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान में तालिबान बनाम नॉर्दर्न अलायंस की जंग तेज होती जा रही है. अफगानिस्तान के 32 प्रांत पर तालिबान के कब्जे के बाद पंजशीर में तालिबान को करारी शिकस्त मिल रही है. वहीं काबुल एयरपोर्ट पर करीब ढाई लाख लोगों की भीड़ है, जो अफगानिस्तान छोड़कर जाना चाहती है. हालात ये है कि एयरपोर्ट पर भूख-प्यासे इंसान दम तोड़ रहे हैं. इस बीच बड़ी खबर आई है कि काबुल एयरपोर्ट से एयरलिफ्ट करके जो प्लेन उड़ रहे हैं, उनको मिसाइल अटैक का डर सता रहा है. फ्रांस और अमेरिका के मिलिट्री प्लेन उड़ान के वक्त Heat Seeking Technology को भ्रमित करने के लिए फ्लेयर्स छोड़ रहे हैं.
उधर तालिबान ने अमेरिका को एक बार फिर चेतावनी दी है. तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा है कि अगर प्रेसिडेंट बाइडेन ने अमेरिकी सैनिकों की वापसी में देरी की उन्हें परिणाम भुगतना होगा. तालिबान ने अमेरिकी सैनिकों की वापसी की आखिरी तारीख 31 अगस्त को रेड लाइन बताया है. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अफगानिस्तान में उनका रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चल रहा है. काबुल एयरपोर्ट से दिन-रात अमेरिकी विमान उड़ान भर रहे हैं.
ब्रिटेन के डिफेंस सेक्रेट्री ने भी कहा है कि अफगानिस्तान में रेस्क्यू ऑपरेशन और तेज करना होगा, क्योंकि अब महीनों नहीं कुछ ही घंटे बचे हैं. पिछले एक हफ्ते में अफगानिस्तान से 28 हजार लोगों को रेस्क्यू किया गया है, लेकिन काबुल एयरपोर्ट पर भीड़ कम होने की बजाए बढ़ती जा रही है और दुनिया के लिए ये फिक्र भी बड़ी होती जा रही है. हफ्ता बीत गया, लेकिन हालात नहीं बदले. काबुल एयरपोर्ट पर हर आठ से दस मिनट पर गोलियां गूजती हैं. कभी विदेशी सुरक्षाकर्मी फायरिंग करते हैं तो कभी तालिबानी राइफलें गरजने लगती हैं और इन सबके बीच एयरपोर्ट पहुंची भीड़ में दहशत मच जाती है, लेकिन देश छोड़ने की जिद कम नहीं पड़ती है.
आप कल्पना नहीं कर सकते कि आज आठ दिन से अफगानिस्तान में काबुल एयरपोर्ट पर लोग इस उम्मीद में डटे हुए हैं कि वो देश छोड़ने में कामयाब हो जाएंगे. इस वक्त लाखों लोग किस त्रासदी से गुजर रहे हैं, ये वहां से बाहर निकले लोगों ने सुनाई है. काबुल एयरपोर्ट पर अब तक 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. किसी की जान तालिबानी गोली से गई है तो कुछ लोग प्लेन से गिरकर मरे हैं और अब तो हालात इतने भवायह हैं कि लोग भूख-प्यास से दम तोड़ रहे हैं. शनिवार को भीषण गर्मी के बीच काबुल एयरपोर्ट पर अराजक दृश्य देखने को मिला. कई लोग पानी की कमी से बेहोश होने लगे, उनका शरीर शिथिल पड़ने लगा. वहीं विदेशी सैनिकों ने इन लोगों की मदद की और इन्हें पानी पिलाया और सिर से नहलाया. साथ ही एयरपोर्ट पर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गोलियां भी चलाईं.
इन सबके बीच काबुल एयरपोर्ट पर विदेशी सैनिकों को कुछ लोगों के शवों को ढंकते देखा गया. बताया जाता है इनकी मौत सफोकेशन और हार्ट अटैक से हुई है. ये सभी अफगानी नागरिक थे, जो देश छोड़ने एयरपोर्ट आए थे. काबुल एयरपोर्ट के अंदर इस वक्त करीब 90 हजार लोग हैं. ये वो लोग हैं, जो या तो दूसरे देश से अफगानिस्तान आए थे या फिर दूतावासों में काम करने वाले लोग हैं या फिर पत्रकार या वीजा ले चुके अफगानी, लेकिन यहां भीड़ इतनी है कि रनवे की तरफ जाने के लिए गेट तक पहुंचना आसान नहीं है. बारी आ जाने के बाद भी विमान तक जा पाना मुश्किल है.
काबुल एयरपोर्ट के बाहर तो हालात और भी भयावह है. पांच किलोमीटर के एरिया में करीब डेढ़ लोग जमा हैं, जो अफगानिस्तान छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन तालिबानी इन्हें फायरिंग कर धमका रहे हैं. कोड़े से मारपीट कर भगा रहे हैं. काबुल एयरपोर्ट के बाहर तालिबान ने तीन चेक पोस्ट बनाए हैं, जहां एयरपोर्ट जाने वालों के डॉक्यूमेंट्स चेक किए जा रहे हैं. अफगानियों को वहां से डरा धमकाकर लौटाया जा रहा है. काबुल एयरपोर्ट के बाहर तालिबानी बंदूकों के साथ खड़े हैं तो एयरपोर्ट पर अमेरिका और नाटो के देशों की सेनाओं का कब्जा है. एयरपोर्ट में किसे अंदर जाने दिया जाएगा और किसे नहीं, ये इन्हीं देशों की सेनाएं तय कर रही हैं. यानी इस वक्त काबुल एयरपोर्ट की कंटीली चहारदीवारी के एक तरफ मौत का मंजर है तो दूसरी ओर जिंदगी की उम्मीद. एक तरफ तालिबानी त्रासदी है तो दूसरी ओर फरिश्तों से मदद की आस.
काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा में तालिबान ने अमेरिकी फोर्स की तरह ड्रेस वाले अपने स्पेशल फोर्स बदरी 313 के जवानों को उतार दिया है. हालांकि दूसरी तरफ अमेरिका के 6500 और ब्रिटेन के 1200 सैनिक मुस्तैद हैं, जिनसे काबुल एयरपोर्ट पर अफगानियों को सुरक्षा मिल रही है. काबुल शहर में भी तालिबान का अत्याचार बढ़ता जा रहा है, जहां तहां तालिबान के लड़ाके लोगों से मारपीट कर रहे हैं. काबुल से लौटे भारतीय भी तालिबान की कलंक कथा सुना रहे हैं. अफगानिस्तान से भारत लौटे लोग बता रहे हैं कि पिछले सात दिनों में उन्होंने तालिबान की कैसी दहशत देखी है.
रविवार को भारतीय एयरफोर्स का विमान 135 लोगों को लेकर दिल्ली पहुंचा और आज वहां से 146 भारतीय दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरे. अफगानिस्तान से अब तक 700 से ज्यादा लोगों को एयरलिफ्ट किया जा चुका है, जिनमें 46 अफगान सिख और हिंदू भी शामिल हैं. अफगानिस्तान से लौटे दीपक सिंह काबुल एयरपोर्ट पर काम करते हैं. दीपक बताते हैं कि वहां हर कोई तालिबान के खौफ से अफगानिस्तान छोड़ना चाहता है.
अफगानिस्तान से आए लोग बताते हैं कि काबुल में घर से एयरपोर्ट पहुंचने में उन्हें 5 से 6 दिन लग गए, क्योंकि शहर से एयरपोर्ट तक तालिबान का पहरा है. तालिबानी गोलीबारी से दहशत मची है और हजारों की भीड़ को पार कर एयरपोर्ट के अंदर जाना टेढ़ी खीर है. अगर एयरपोर्ट के अंदर चले भी गए तो प्लेन मिलने में पांच छह दिन लग जाते हैं और महज बिस्किट नमकीन से गुजारा करना पड़ता है. वाकई 90 हजार लोगों के बीच से निकलकर एयरपोर्ट के अंदर जाना आसान नहीं है और जो लोग इस भीड़ में हैं वो खाना-पीना के बिना बदहवास हो रहे हैं. अफगानिस्तान की आंखों-देखी ये भी कि वहां महिलाओं और बच्चों में भी तालिबान का डर दिख रहा है. कई बच्चे बिना माता-पिता के भी अफगानिस्तान छोड़ रहे हैं