Islamabadइस्लामाबाद। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पाकिस्तान पहुंचे विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने गुरुवार को यहां सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान विदेश मंत्री ने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा कि आतंकवाद, अलगावाद और कट्टरवाद से सभी देशों को बचना होगा। सम्मेलन में पाकिस्तान का नाम लिए बिना जयशंकर ने मेजबान देश को आतंकवाद को लेकर खरी-खरी सुनाते हुए कहा बेहतर रिश्ते के लिए भरोसा जरूरी है, अगर भरोसा नहीं तो कुछ नहीं। देशों को बॉर्डर का सम्मान करने की जरूरत है। अगर आतंकवाद जारी रहा तो व्यापार नहीं होगा।
सम्मेलन के दौरान एससीओ के व्यापार और आर्थिक एजेंडा पर चर्चा हुई। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, जयशंकर ने संगठन के चार्टर में निहित प्रमुख बातों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारे प्रयास तभी आगे बढ़ेंगे, जब चार्टर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दृढ़ रहेगी। यह स्वयंसिद्ध है कि विकास और वृद्धि के लिए शांति और स्थिरता की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए। इसे एकतरफा एजेंडे पर नहीं, बल्कि वास्तविक भागीदारी पर बनाया जाना चाहिए। अगर हम वैश्विक प्रथाओं, खासकर व्यापार को अपनी पसंद के हिसाब से चुनेंगे तो एससीओ प्रगति नहीं कर सकता है।
विदेश मंत्री ने कहा ऐसी कई बाधाएं हैं, जो विकास को प्रभावित करती है, जिसमें क्लाइमेट, सप्लाई चैन, वित्तीय अस्थिरता शामिल है। एससीओ का सबसे पहला लक्ष्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का मुकाबला करना है और यह वर्तमान समय में और भी महत्वपूर्ण हो गया है। एससीओ को इन तीन बुराइयों का मुकाबला करने के लिए दृढ़ संकल्प लेना होगा।
इससे पहले मंगलवार को पाकिस्तान पहुंचे जयशंकर का पाक पीएम शहबाज शरीफ ने औपचारिक स्वागत किया, जिस दौरान दोनों नेताओं ने हाथ मिलाया। समिट से पहले विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास में पौधरोपण भी किया। बता दें कि विदेश मंत्री जयशंकर 8 साल 10 महीने बाद पाकिस्तान जाने वाले भारत के पहले नेता हैं। उनसे पहले 25 दिसंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक सरप्राइज विजिट पर लाहौर पहुंचे थे। मोदी के दौरे के एक साल बाद ही 2016 में पाक समर्थित आतंकवादियों ने उरी में भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर हमला किया था, जिसमें कई भारतीय जवान शहीद हो गए थे। तब से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया था। 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते और खराब हो गए थे।