तालिबान में महिलाओं का हिजाब पहनना अनिवार्य, कहा- बिना नकाब दिखे तो खैर नहीं
अफगानिस्तान की मौजूदा तालिबान सरकार आए दिन महिलाओं को लिए नए-नए प्रतिबंधों को लागू कर रहा है। इसी कड़ी में तालिबान ने अब महिलाओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया है।
अफगानिस्तान की मौजूदा तालिबान सरकार आए दिन महिलाओं को लिए नए-नए प्रतिबंधों को लागू कर रहा है। इसी कड़ी में तालिबान ने अब महिलाओं के लिए बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया है। तालिबान की धार्मिक पुलिस ने राजधानी काबुल के चारों ओर पोस्टर लगाए हैं जिसमें अफगान महिलाओं को बुर्का पहनने का आदेश दिया गया है।
एकअधिकारी ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। तालिबान के 'प्रोमशन ऑफ वर्चु एंड प्रीवेंशन ऑफ वाइस' ने इन पोस्टरों को शहर के कैफे और दुकानों पर लगाया है। तालिबान ने काबुल समेत देश के कई शहरों में पोस्टर लगाकर आदेश दिया है कि महिलाएं बाहर निकलते समय बुर्का जरूर पहनें। सार्वजनिक स्थानों पर बिना नकाब के पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अगस्त, 2021 में सत्ता में लौटने के बाद तालिबान ने तेजी से महिलाओं और लड़कियों की स्वतंत्रता को कम किया है।
तालिबान द्वारा जारी किए गए पोस्टर में बुर्का पहने एक महिला की तस्वीर है। इस पोस्टर में लिखा है कि शरिया कानून के अनुसार, मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनना चाहिए। तालिबान के इस्लामी कानून की व्याख्या को लागू करने के लिए जिम्मेदार मंत्रालय के एक प्रवक्ता सादिक अकिफ मुहाजिर ने पोस्टर्स को लगाने की पुष्टि की है।
सड़कों पर सख्ती कर रहे तालिबान लड़ाके
मुहाजिर ने कहा कि अगर कोई इसका पालन नहीं करता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे दंडित किया जाएगा या पीटा जाएगा, यह मुस्लिम महिलाओं के लिए शरिया कानून का पालन करने के लिए सिर्फ प्रोत्साहन है। इसके बावजूद सड़कों पर तालिबान के कई लड़ाके बुर्का न पहनने पर महिलाओं पर अत्याचार कर रहे हैं। काबुल में, महिलाएं पहले से ही अपने बालों को स्कार्फ से ढंकती हैं, हालांकि कुछ मामूली संख्या में ही महिलाएं पश्चिमी कपड़े पहनती हैं।
1990 के दशक में तालिबान ने पहले शासन में ही पूरे अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए बुर्का को अनिवार्य कर दिया था। तालिबान के सत्ता से हटने के बावजूद अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में महिलाएं बुर्का पहना करती थीं। हालांकि, अफगानिस्तान पर दोबारा कब्जे के बाद तालिबान ने पूरी दुनिया को भरोसा दिया था कि वह अब बदल गया है। महिलाओं को उनके अधिकार दिए जाएंगे।
महिलाएं बोली- पोस्टर का मकसद डर फैलाना है
काबुल यूनिवर्सिटी की एक छात्रा और महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली एक लड़की ने पहचान न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि तालिबान जो करने की कोशिश कर रहा है, वह लोगों में डर फैलाने की कोशिश है। छात्रा ने यह भी कहा कि पहली बार जब मैंने पोस्टर देखे तो मैं सचमुच डर गया थी, मुझे लगा कि तालिबान मुझे पीटना शुरू कर देंगे। वे चाहते हैं कि मैं बुर्का पहनूं और कुछ भी न देखूं, मैं ऐसा कभी नहीं करूंगी।
अभी तक राष्ट्रीय नीतियों को नहीं किया लागू
तालिबान अंतरराष्ट्रीय मान्यता हासिल करने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा है, ताकि उसे फंडिग मिल सके। वहीं, सत्ता में वापसी के बाद से ही तालिबान ने खुद को राष्ट्रीय नीतियों को लागू करने से बचाया है। इसके बजाय, उन्होंने पुरुषों और महिलाओं के लिए मार्गदर्शन प्रकाशित किया है जो एक प्रांत से दूसरे प्रांत में अलग-अलग हैं।