क्या पाकिस्तान में इमरान की कुर्सी खतरे में है? अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी में विपक्ष, जानें- संसद में राजनीतिक दलों की स्थिति, एक्सपर्ट व्यू
भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल तेज है। विपक्ष ने इमरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल तेज है। विपक्ष ने इमरान सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अब विपक्षी मोर्चा पीडीएम अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी में है। पीएम इमरान खान को सत्ता से बेदखल करने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट हो गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान में इमरान खान सत्ता से बेदखल हो सकते हैं? संसद में क्या है इमरान की पार्टी की स्थिति? क्या विपक्ष के पास इतनी संख्या है कि वह एकजुट होकर इमरान को हटाने की स्थिति में है? क्या होगा इमरान सरकार का भविष्य? आइए जानते हैं इन तमाम मसलों पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ।
पाकिस्तान की संसद में क्या है पक्ष-विपक्ष की स्थिति
1- ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तान की संसद में राजनीतिक दलों की क्या स्थिति है। आइए जानते हैं कि 342 सदस्यों वाली संसद में पक्ष और विपक्ष की क्या स्थिति है। सदन में सत्ता पक्ष के 177 सांसद है। इनमें से 156 सांसद इमरान की पार्टी पीटीआइ के हैं। बाकी अन्य सरकार के सहयोगी दलों के हैं। उधर, विपक्ष के खेमे में 162 सांसद हैं। इसमें सर्वाधिक 84 सांसद नवाज शरीफ की पीएमएलएन के हैं। प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि संख्या बल के हिसाब से इमरान खान की कुर्सी तब तक सुरक्षित है, जब तक उनके गठबंधन में फूट नहीं होती है। अगर सरकार के सहयोगी दल इमरान से बगावत करते हैं तो उनको संकट का सामना करना पड़ सकता है।
2- प्रो. पंत पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता को बहुत शुभ नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान में इसी अस्थिरता का फायदा सेना उठाती है। उनका कहना है कि यह अस्थिरता अगर लंबे समय तक चली तो सेना का दखल बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर यह गतिरोध लंबा चला तो यह भी संभव है कि सत्ता पर सेना का कब्जा हो जाए। हालांकि, सेना अभी मौन है और राजनीतिक गतिविधियों पर उसकी नजर है। उन्होंने कहा कि अगर इमरान सरकार के सहयोगी दल सरकार से अलग होते हैं तो देश में आम चुनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पाकिस्तान के लिए यह भी ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के जो ताजा आर्थिक हालात है उसमें आम चुनाव कतई ठीक नहीं है। दोनों स्थितियां पाकिस्तान के लिए ठीक नहीं है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या विपक्ष इमरान सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाता है।
3- प्रो. पंत का कहना है कि यह देखना दिलचस्प होगा कि इमरान सरकार के सहयोगी राजनीतिक दलों का क्या रुख होता है। एमक्यूएम-पी और पीएमएल-क्यू का सरकार में बड़ा रोल है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की नजर इन राजनीतिक दलों पर होगी। प्रो. पंत ने कहा कि एमक्यूएम-पी के पास नेसनल असेंबली में सात सीटें हैं। पीएमएल-क्यू के पास पांच सीटें हैं। उन्होंने कहा यदि सरकार में शामिल दोनों दल इमरान से अलग हो जाते हैं तो सरकार का गिरना तय है। हालांकि, दोनों दलों ने सरकार के साथ रहने का फैसला लिया है। ऐसे में विपक्ष को सरकार का गिरा पाना एक टेढ़ी खीर है।
इमरान के खिलाफ एकजुट हुआ विपक्ष
1- गौरतलब है कि पाकिस्तान में सबसे बड़े विपक्षी मोर्चे पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) में शामिल नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएएमएल-एन) ने सरकार को घेरने के लिए अविश्वास प्रस्ताव की तैयारियां तेज कर दी हैं। इसके लिए नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ ने पार्टी से अलग हुए धड़े एमएमएल-क्यू के अध्यक्ष चौधरी शुजात से मुलाकात की है। पाकिस्तान के सियासी गलियारों में इसे 'मिलाप' कहा जा रहा है। दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच 16 साल बाद मुलाकात हुई है। पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) ने भी इमरान सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन तेज कर दिए हैं।
2- उधर, पीपीपी के अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने भी पीएमएल-क्यू के अध्यक्ष चौधरी शुजात के साथ मुलाकात कर उन्हें विपक्ष के साथ आने का न्योता दिया। फिलहाल शुजात ने इसे कबूल नहीं किया, लेकिन इससे सियासी पारा गरमा गया है। इस बीच सोमवार को इमरान खान ने दावा किया कि पीएमएल-क्यू सरकार के साथ बनी रहेगी। एमक्यूएम-पी और पीएमएल-क्यू सरकार के सहयोगी दल है। दोनों राजनीतिक दल इमरान सरकार का समर्थन कर रहे हैं। विपक्ष सरकार के सहयोगी दलों में फूट डालने की कोशिश में जुटे हैं।