दुनिया में भारत का बढ़ा मान, नरेंद्र मोदी UNSC की अध्यक्षता करने वाले पहले प्रधानमंत्री बने

भारत ने अगस्‍त, 2021 में संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की अध्‍यक्षता ग्रहण की थी।

Update: 2021-12-20 03:21 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत ने अगस्‍त, 2021 में संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद की अध्‍यक्षता ग्रहण की थी। सुरक्षा परिषद के अस्‍थायी सदस्‍य के रूप में वर्ष 2021-22 के कार्यकाल के दौरान यह भारत की पहली अध्‍यक्षता थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएनएससी की बैठक की अध्‍यक्षता करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे। इसके पूर्व 1992 में तत्‍कालीन पीएम नरसिम्‍हा राव थे, जब उन्‍होंने यूएनएससी की बैठक में भाग लिया था।

यूएनएससी में भारत का आठवां कार्यकाल
भारत ने जनवरी, 2021 में यूएनएससी के एक अस्‍थाई सदस्‍य के रूप में अपना दो वर्ष का कार्यकाल शुरू किया। यूएनएससी में यह भारत का आठवां कार्यकाल है। यह भारत के लिए एक गौरव का पल था। अध्‍यक्ष बनने के बाद भारत ने संयुक्‍त राष्‍ट्र निकाय के लिए एजेंडा तय किया। उसने कई मुद्दों पर महत्‍वपूर्ण बैठकों का समन्‍वय किया। यह समुद्री सुरक्षा, शांति स्‍थापना और आतंकवाद विरोधी तीन प्रमुख क्षेत्रों में कार्यक्रम आयोजित करने जा रहा है। सुरक्षा परिषद के एजेंडे के तहत सीरिया, इराक, सोमालिया, यमन और मध्‍य पूर्व सहित कई महत्‍वपूर्ण बैठकें आयोजित की थी।
बैठक की अध्यक्षता करने वाले भारत के पहले पीएम बने मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नया इतिहास बनाया। वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की समुद्री सुरक्षा पर एक खुली बहस की अध्यक्षता की थी। डिजिटल माध्यम से आयोजित इस डिबेट का विषय 'समुद्री सुरक्षा बढ़ाना- अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के रखरखाव के लिए एक मामला' था। इस बहस में यूएनएसी के सदस्य देशों के कई राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्‍सा लिया था। मोदी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इस बैठक की अध्यक्षता करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। इस डिबेट में समुद्री अपराध और समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के मुद्दों पर चर्चा हुई। दरअसल, यूएनएससी की ओर से समुद्री सुरक्षा और समुद्री अपराध के मुद्दों पर चर्चा की है और कई प्रस्ताव पारित किए गए। ऐसा पहली बार होगा जब समुद्री सुरक्षा जैसे गंभीर मसले पर उच्च स्तरीय और खुली बहस हुई थी।
फ्रांस और रूस ने भारत का खुलकर किया समर्थन
फ्रांस और रूस ने भारत का खुलकर समर्थन किया था। फ्रांस ने कहा कि वह समुद्री रक्षा, शांति स्‍थापना और आतंकवाद निरोधी जैसी सामरिक समस्‍याओं पर भारत के साथ सहयोग करने के लिए समर्पित थे। रूस ने यूएनएससी की अध्‍यक्षता प्राप्‍त करने वाले देश का स्‍वागत करते हुए कहा था कि वह भारत के एजेंडे से बेहद प्रभावित है। भारत महत्‍वपूर्ण वैश्विक चिंताओं की बात करता है।
सुरक्षा परिषद में आतंकवाद रोधी समिति की अध्‍यक्षता की
जनवरी में भारत ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में अस्‍थाई सदस्‍य के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान तालिबान और लीबिया पर प्रतिबंध समितियों और आतंकवाद रोधी समिति की अध्‍यक्षता की थी। संयुक्‍त राष्‍ट्र की 15 सदस्‍यीय सुरक्षा परिषद में वर्षों से सुधार की मांग कर रहे भारत ने अस्‍थाई सदस्‍य के तौर पर एक जनवरी से अपने दो साल के कार्यकाल की शुरुआत की थी। परिषद में पांच स्‍थायी और 10 अस्‍थाई सदस्‍य हैं। बता दें कि तीनों समितियां यूएनएससी की महत्वपूर्ण सहायक निकाय है। भारत ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र में 2021-22 के कार्यकाल के दौरान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई उसकी शीर्ष प्राथमिकता में रहेगी।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति का संदेश
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने एक वीडियो संदेश में कहा था कि मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि भारत को सुरक्षा परिषद की तीन महत्वपूर्ण समितियों की अध्यक्षता के लिए कहा गया है। इसमें तालिबान पर प्रतिबंध समिति, आतंकवाद रोधी समिति (सीटीसी) और लीबिया पर प्रतिबंध समिति शामिल हैं। तिरुमूर्ति ने कहा कि तालिबान प्रतिबंध समिति, अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा विकास और प्रगति के लिए हमेशा से भारत की शीर्ष प्राथमिकता में रही है। उन्होंने कहा कि इस अहम मौके पर इस समिति की अध्यक्षता से अफगानिस्तान में आतंकवादियों की मौजूदगी और शांति प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने वाले उनके प्रायोजकों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी। हमारा हमेशा से दृष्टिकोण रहा है कि शांति प्रक्रिया और हिंसा, दोनों एक साथ नहीं चल सकती।'
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