यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेट की ओर खिसक रहा इंडियन प्लेट, स्टडी में खुलासा

अर्थ-साइंस रिव्यूज जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च पेपर में पृथ्वी की सतह के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई है।

Update: 2022-06-10 05:36 GMT

दुनियाभर में आने वाले भूकंपों के लिए जमीन की सतह के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेटों को जिम्मेदार बताया जाता है। ये प्लेटें जब एक दूसरे से टकराती हैं तो इससे भूकंप के झटके महसूस होते हैं। कई बार तो इनके टकराने से सुनामी जैसे हालात भी पैदा हो जाते हैं। अब ऑस्ट्रेलिया के भूवैज्ञानिकों ने धरती पर मौजूद सभी टेक्टोनिक प्लेटों का एक नया नक्शा तैयार किया है। इसमें पता चला है कि भारत के नीचे मौजूद इंडियन प्लेट तेजी से उत्तर दिशा में मौजूद यूरेशियाई प्लेट की ओर खिसक रही है। इससे अंदेशा जताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में इन दो प्लेटों के टकराव से हिमालय सहित उत्तरी हिस्सों में भीषण भूकंप आ सकता है।

एडिलेड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने तैयार किया मैप
टेक्टानिक प्लेटों के इस नक्शे को एडिलेड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने तैयार किया है। इस रिसर्च टीम का नेतृत्व करने वाले एडिलेड विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ अर्थ साइंसेज के लेक्चरर डॉ डेरिक हेस्टरोक ने बताया कि हमने टेक्टानिक प्लेट के सीमा क्षेत्रों के विन्यास और महाद्वीपीय क्रस्ट के पिछले निर्माण का अध्ययन किया।

महाद्वीप को बारी-बारी से जोड़कर बनाई नई तस्वीर
महाद्वीप बारी-बारी से कुछ टुकड़ों की तरह जुटे। यह जुटना एक पहेली जैसा था। वैसी ही पहेली जैसी आप बच्‍चों को अलग-अलग टुकड़े जोड़कर एक आकृति बनाते देखते हैं। या यूं कहें जैसे आप तितर-बितर तस्‍वीर को जोड़ते हैं। हालांकि, एक पहेली खत्‍म होने पर दूसरी बन जाती थी। यानी ये टुकड़े दोबारा बिखर जाते थे। दोबारा जुटकर फिर एक नई तस्‍वीर बनती थी। हमारी स्‍टडी भूवैज्ञानिकों के लिए मददगार है। यह उन तमाम कंपोनेंट पर रोशनी डालती है जिन टुकड़ों के जुटने से पहले तस्‍वीर बनी
पहाड़ों के निर्माण से संबंधित 26 ऑरोजेनी का पता लगाया
रिसर्च में बताया गया है कि टेक्टोनिक प्लेट्स की बाउंड्री जोन धरती के क्रस्ट का 16 फीसदी जबकि महाद्वीपों का हिस्सा कवर करती हैं। टीम ने तीन नए भूवैज्ञानिक मॉडल तैयार किए: एक प्लेट मॉडल, एक प्रांत मॉडल और एक ऑरोजेनी मॉडल। ऑरोजेनी मॉडल महाद्वीप पर पहाड़ों के बनने की मैकेनिज्म से संबंधित है। टीम ने बताया कि शोध के दौरान उन्हें 26 ऑरोजेनी का पता चला। इनके कारण ही अलग-अलग महाद्वीपों में पहाड़ों का निर्माण हुआ। इनमें से कुछ तो सुपरकॉन्टिनेंट के निर्माण से भी संबंधित हैं।
शोधकर्ता बोले- इससे टेक्टोनिक प्लेट का पुराना नक्शा होगा अपडेट
डॉ. हेस्टरोक ने कहा कि हमारा काम हमें पाठ्यपुस्तकों में मौजूद टेक्टोनिक प्लेटों के नक्शे और महाद्वीपों के गठन को अपडेट करने की अनुमति देता है। उन्होंने बताया कि पुराने टेक्टोनिक प्लेटों और नक्शे को टोपोग्राफिक मॉडल और ग्लोबल सिस्मेसिटी के जरिए डिजाइन किया गया था। यह नक्शा 2003 के बाद अपडेट ही नहीं किया गया है। नए प्लेट मॉडल में मैक्वेरी माइक्रोप्लेट सहित कई नए माइक्रोप्लेट शामिल हैं जो तस्मानिया के दक्षिण में स्थित हैं।
यूरेशियाई प्लेट की ओर खिसक रही इंडियन प्लेट
इनमें से ही एक कैप्रिकॉन माइक्रोप्लेट इंडियन और ऑस्ट्रेलियन प्लेटों को अलग करता है। उन्होंने बताया कि प्लेट मॉडल में सबसे बड़ा परिवर्तन पश्चिमी उत्तरी अमेरिका में हुआ है। दूसरा बड़ा बदलाव मध्य एशिया में है। नए मॉडल में अब भारत के उत्तर में सभी डिफॉर्मेशन जोन मौजूद है। इससे पता चलता है कि इंडियन प्लेट यूरेशियन प्लेट की ओर खिसक रही है। अर्थ-साइंस रिव्यूज जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च पेपर में पृथ्वी की सतह के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई है।

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