भारतीय कंपनी नेपाल में चीन की छोड़े पनबिजली संयंत्रों को करेगी विकसित, समझौते पर हुए हस्ताक्षर
नेपाल ने अपने देश के पश्चिमी हिस्से में पनबिजली संयंत्र लगाने के लिए भारतीय कंपनी एनएचपीसी लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नेपाल ने अपने देश के पश्चिमी हिस्से में पनबिजली संयंत्र लगाने के लिए भारतीय कंपनी एनएचपीसी लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस संयंत्र पर काम करने से चीन की एक कंपनी कुछ साल पहले पीछे हट गई थी। अधिकारियों ने बताया कि एनएचपीसी लिमिटेड ने गुरुवार को एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए जिसके तहत कंपनी दो परियोजनाओं वेस्ट सेती (750 मेगावाट) और एसआर-6 (450 मेगावाट) के लिए संभाव्यता, पर्यावरणीय प्रभाव, डूब क्षेत्र और निर्माण लागत जैसे अध्ययन करेगी।
ये दोनों परियोजनाएं नेपाल के सबसे कम विकसित दूरस्थ पश्चिमी क्षेत्र में वेस्ट सेती नदी पर बनाई जाएंगी और इन पर 2.1 अरब अमेरिकी डालर की लागत आने का अनुमान है। चीन की पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण की सबसे बड़ी कंपनी 'थ्री गोर्जेस इंटरनेशनल कार्प' पहले इस परियोजना पर काम करने वाली थी, लेकिन शर्तों पर सौदेबाजी के दौरान 2017 में नेपाल ने उसके साथ समझौता खत्म कर दिया था। इंवेस्टमेंट बोर्ड आफ नेपाल के सीईओ सुशील भट्ट ने कहा कि ऐसी परियोजनाओं के निर्माण में एनएचपीसी की ट्रैक रिकार्ड अच्छा है और उसमें भारत के बिजली बाजार को भुनाने की क्षमता भी है। एनएचपीसी के प्रबंध निदेशक अभय कुमार सिंह ने भी इसी तरह की आशा व्यक्त की।
इंवेस्टमेंट बोर्ड आफ नेपाल के सीईओ सुशील भट्टा और एनएचपीसी के सीएमडी अभय कुमार सिंह ने प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, वित्त मंत्री जनार्दन शर्मा, उद्योग, वाणिज्य और आपूर्ति मंत्री दिलेंद्र प्रसाद बडू और ऊर्जा मंत्री पम्फा भूषण की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। यह जलविद्युत के विकास के लिए नेपाल और भारत के बीच हस्ताक्षरित सबसे बड़ा समझौता ज्ञापन है। दो परियोजनाओं की संयुक्त लागत लगभग 2.1 बिलियन अमरीकी डालर होने का अनुमान है। इसमें 750 मेगावाट वेस्ट सेती जल विद्युत और 450 मेगावाट एसआर-6 जल विद्युत परियोजना शामिल है।