अफगानिस्तान पर UNSC के प्रस्ताव का भारत ने किया स्वागत, मानवीय सहायता के लिए प्रतिबद्ध
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही देश भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से ही देश भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश की आधी से अधिक आबादी खाद्य असुरक्षा का सामना कर रही है। इस, बीच संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने संकटग्रस्त देश को मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए प्रतिबंधों से छूट देने के यूएनएससी के प्रस्ताव का समर्थन किया है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और इस क्षेत्र के देशों से पक्षपातपूर्ण हितों से ऊपर उठकर एक साथ आने का आह्वान किया।
तिरुमूर्ति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा, 'अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति गंभीर है। हमने ऐसी रिपोर्टें देखी हैं जो बताती हैं कि आधी से अधिक आबादी संकट या गंभीर खाद्य असुरक्षा के आपातकालीन स्तर का सामना कर रही है, लोगों की बुनियादी खाद्य जरूरतों को पूरा करने के लिए तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है और देश का अधिकांश हिस्सा गरीबी की सीमा से नीचे जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सर्दी पहले से ही लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर रही है। यह महत्वपूर्ण है कि सहायता को तत्काल बढ़ाया जाए और संयुक्त राष्ट्र और अन्य एजेंसियों को निर्बाध पहुंच प्रदान की जाए। इस संदर्भ में भारत ने अंतरराष्ट्रिय समुदाय के आह्वान का समर्थन किया है कि अफगानिस्तान के लिए मानवीय सहायता तक पहुंच प्रत्यक्ष और बिना किसी बाधा के होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से सहायता सबसे पहले सबसे कमजोर लोगों तक पहुंचनी चाहिए - जिसमें महिलाएं, बच्चे और अल्पसंख्यक शामिल हैं।
तिरुमूर्ति ने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र को सहायता के वितरण पर समान रूप से अपनी निगरानी रखनी चाहिए। हमने अभी-अभी टीकों की पांच लाख खुराकें और 1.6 मीट्रिक टन जीवन रक्षक दवाएं एयरलिफ्ट की हैं। हम और दवाएं और खाद्यान्न भेजने की प्रक्रिया में हैं। भारत अफगानिस्तान के लोगों को खाद्यान्न और दवाओं सहित तत्काल मानवीय सहायता देने के लिए तैयार है। तिरुमूर्ति ने कहा कि हम अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय सहायता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर कायम हैं।