भारत ने पर्यावरण पर आए प्रस्ताव के विरोध में किया मतदान
भारत ने पर्यावरण सुधार के सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्तुत संकल्प के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत ने पर्यावरण सुधार के सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्तुत संकल्प के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया है। उसके कुछ ही देर बाद रूस ने इस प्रस्ताव को वीटो कर दिया है जिससे यह निष्प्रभावी हो गया। इस प्रस्ताव में बदलते पर्यावरण को दुनिया में शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया था। इस प्रस्ताव में विकासशील देशों के हितों के खिलाफ बातें थीं।
भारत ने कहा है कि ग्लास्गो में हुए पर्यावरण सम्मेलन में विकासशील देशों के हितों को ध्यान में रखने की बात कही गई थी। लेकिन इस प्रस्ताव में वह बात नहीं है। इसलिए अन्य कोई विकल्प न होने पर वह फिलहाल इस प्रस्ताव के खिलाफ मतदान कर रहा है। भारत ने पेरिस समझौते के अनुसार विकासशील देशों के लिए एक खरब डालर (करीब 7,50,000 करोड़ रुपये) की मदद अविलंब अवमुक्त किए जाने की मांग की। पर्यावरण सुधार के उपायों के लिए यह धनराशि अमेरिका समेत सभी विकसित देशों को देनी है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने कहा, 'पर्यावरण सुधार के लिए भारत की मंशा को लेकर किसी को गलतफहमी नहीं होना चाहिए। भारत हमेशा पर्यावरण सुधार के न्यायोचित कदमों का समर्थक रहा है। लेकिन कोई कदम उठाते समय अफ्रीकी देशों समेत सभी विकासशील देशों के हितों का ध्यान रखा जाना चाहिए। इसके लिए चर्चा और निर्णय की सही जगह यूएनएफसीसीसी (यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन आन क्लाइमेट चेंज) है।
तापमान को 1.5 डिग्री से कम रखने के प्रयास शुरू करें : शर्मा
संयुक्त राष्ट्र के बैनर तले ग्लास्गो में नवंबर में हुए पर्यावरण सम्मेलन में धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखने पर सहमति बनी है। लेकिन यह अधूरी सफलता है। यह बात सीओपी (कान्फ्रेंस आफ द पार्टीज) 26 के अध्यक्ष आलोक शर्मा ने कही है। उन्होंने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए दुनिया के सभी देशों के आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) द्वारा आयोजित पार्टनरशिप समिट में अपने वर्चुअल संबोधन में शर्मा ने कहा, पर्यावरण सुधार के लिए पूरे आर्थिक जगत में कदम उठाए जाने की जरूरत है। सभी देशों और कंपनियों को अपने उस वचन का पालन करना चाहिए जो उन्होंने ग्लास्गो के सम्मेलन में दिए थे। इसके तहत वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड के नारे को अमलीजामा पहनाने के लिए प्रयास शुरू करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखने का 2015 में हुए पेरिस सम्मेलन में संकल्प लिया गया था। ग्लास्गो में हुए सम्मेलन में इसे दोहराया गया है।