भारत ने उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध के अमेरिकी प्रस्ताव का किया समर्थन, चीन और रूस ने किया वीटो

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों को बढ़ाने के अमेरिका के प्रस्ताव का भारत ने समर्थन किया जबकि चीन और रूस ने प्रस्ताव को वीटो किया।

Update: 2022-05-28 01:04 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उत्तर कोरिया पर प्रतिबंधों को बढ़ाने के अमेरिका के प्रस्ताव का भारत ने समर्थन किया जबकि चीन और रूस ने प्रस्ताव को वीटो किया। अमेरिका यह प्रस्ताव उत्तर कोरिया द्वारा किए गए तीन मिसाइल परीक्षणों के विरोध में लाया था। उत्तर कोरिया ने ये परीक्षण हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के दक्षिण कोरिया और जापान के दौरे के बाद किए थे। सुरक्षा परिषद में अमेरिका की स्थायी सचिव लिंडा थामस-ग्रीनफील्ड ने कहा, उत्तर कोरिया परमाणु परीक्षण की तैयारी कर रहा है। हम उसे चेतावनी देने के लिए प्रतिबंधों को बढ़ाना और उन्हें मजबूती से लागू करना चाहते हैं। प्रस्ताव में कच्चे तेल से लेकर तंबाकू सहित कई उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की बात थी। लेकिन चीन और रूस के वीटो के कारण यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका। इन दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका की ओर से लाए गए एक प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया। इसके चलते उत्तर कोरिया पर नए प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाला यह प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया।

2006 में प्योंगयांग को दंडित करना शुरू करने के बाद पहली बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सार्वजनिक रूप से विभाजित रहा। मसौदा प्रस्ताव में उत्तर कोरिया को निर्यात में तंबाकू और तेल पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव था। उत्तर कोरिया का नेता किम जोंग धूम्रपान का चेन स्‍मोकर है। इसमें लाजर हैकिंग समूह को भी ब्लैकलिस्ट करना था, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका उत्तर कोरिया से जुड़ा हुआ कहता है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की एशिया यात्रा के दौरान उत्तर कोरिया ने तीन बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) दागे थे, जिसके एक दिन बाद वीटो प्रस्‍ताव लाया गया। संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने वीटो को सुरक्षा परिषद के लिए 'निराशाजनक दिन' के रूप में वर्णित किया।
15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की गुरुवार को हुई बैठक में अमेरिका की ओर से 14 पेज का एक प्रस्ताव पेश किया गया। 13 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। जबकि वीटो प्राप्त सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों रूस और चीन ने इसके खिलाफ मतदान किया। ये दोनों देश उत्तर कोरिया के करीबी सहयोगी हैं। बता दें कि उत्तर कोरिया वर्ष 2022 शुरू होने के साथ ही लगातार मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है।
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