विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत आठ अंक फिसलकर 150वें स्थान पर पहुंचा, ब्लिंकन बोले- जीवंत और स्वतंत्र प्रेस ही स्वस्थ लोकतंत्र की आधारशिला

विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत पिछले साल से आठ अंक फिसलकर इस साल 150वें स्थान पर पहुंच गया है।

Update: 2022-05-04 01:55 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत पिछले साल से आठ अंक फिसलकर इस साल 150वें स्थान पर पहुंच गया है। विश्व की मीडिया पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था रिपोटर्स सैन्स फ्रंटियर्स (आरएसएफ-2022) के सूचकांक में नेपाल को छोड़कर बाकी भारत के पड़ोसी देशों का भी स्थान नीचे गिरा है।

नेपाल 30 अंक ऊपर चढ़कर 76वें स्थान पर पहुंच गया है। पाकिस्तान( 157), श्रीलंका (146), बांग्लादेश (162), म्याम्यार (176) और चीन दो स्थान ऊपर चढ़कर 175वें स्थान पर है। सूची में पहले स्थान पर नार्वे, दूसरे पर डेनमार्क, तीसरे स्वीडन और चौथे पर एस्टोनिया है।
जबकि उत्तर कोरिया 180 देशों की सूची में सबसे निचले स्थान पर है। यूक्रेन से जंग लड़ रहे रूस का भी स्थान 5 स्थान गिर कर 155 पर पहुंच गया है। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और अन्य मानवाधिकार संस्थाओं ने भारतीय प्राधिकारियों से पत्रकारों को उनके काम के लिए निशाना बनाने या ऑनलाइन आलोचना से बचने की सलाह दी है।
आतंकवाद विरोधी और राजद्रोह कानून को लेकर अभियोग न चलाने की बात कही है। भारतीय प्राधिकारियों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।
जीवंत और स्वतंत्र प्रेस किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र की आधारशिला: ब्लिंकन
जीवंत और स्वतंत्र प्रेस किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र की आधारशिला होती है, यह कहना है अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन का। उन्होंने कहा कि यह देखते हुए कि प्रेस की स्वतंत्रता सहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दों को वर्तमान में गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है।
मंगलवार को वाशिंगटन फॉरेन प्रेस सेंटर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ब्लिंकन ने कहा कि दो साल से ज्यादा समय बीतने के बाद इस केंद्र में दोबारा यहां मौजूद हूं, दुनियाभर में सरकारों के साथ-साथ आतंकवादी समूहों और आपराधिक संगठनों की ओर से पत्रकारों को धमकी दी है, परेशान किया, कैद किया और यहां तक कि हर हफ्ते उन पर हमले तक कराए गए हैं।
उन्होंने कहा कि कई सरकारें प्रेस की स्वतंत्रता को कम करने के उद्देश्य से नई रणनीति के साथ दमनकारी पारंपरिक साधनों की पूरक हैं। अधिकतर सरकारें सूचना और समाचार तक पहुंच को, विशेष रूप से इंटरनेट पर नियंत्रित करने के लिए कदम उठा रही हैं। चाहे वह शटडाउन हो, स्लोडाउन हो या फिर सेंसरशिप लगाए जाना हो।
ब्लिंकन ने खेद जताते हुए कहा कि इन प्रतिबंधों के कारण देश के आंतरिक मामलों से जुड़ी रिपोर्ट का बाहर आना और इसी तरह बाहरी यानी विदेशी मामलों से जुड़ी रिपोर्ट का अंदर प्रासारित होना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने यह कहते हुए कि प्रौद्योगिकी का उपयोग न केवल पत्रकारों को रोकने के लिए, बल्कि उन पर नजर रखने के लिए भी किया जा रहा है।
ब्लिंकन ने उदाहरण देते हुए कहा कि एक स्वतंत्र एजेंसी की जांच में सामने आया है कि साल 2020 से 2021 तक अल सल्वाडोर में 30 से अधिक पत्रकारों, संपादकों और अन्य मीडिया कर्मचारियों के मोबाइल फोन को स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करके हैक किया गया था।
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