भारत ने एक बार फिर से पड़ोसी धर्म निभाते हुए अफगानिस्तान को भेजी दवाई, तालिबान ने कहा शुक्रिया

तालिबान की सत्ता आने के बाद से ही अफगानिस्तान की जनता की मुसीबतें बढ़ती जा रही है। एक तरफ देश की इकोनोमी पूरी तरह से धवस्त हो चुकी है

Update: 2022-01-07 16:25 GMT

तालिबान की सत्ता आने के बाद से ही अफगानिस्तान की जनता की मुसीबतें बढ़ती जा रही है। एक तरफ देश की इकोनोमी पूरी तरह से धवस्त हो चुकी है तो दूसरी तरफ कोरोना महामारी व दूसरी बीमारियों का इलाज मिलना मुश्किल है। ऐसे में भारत ने एक बार फिर पड़ोसी धर्म निभाते हुए दो टन दवाइयों की नई खेप भेजी है। यह दवाइयों काबुल स्थित इंदिरा गांधी होस्पीटल को सौंपी जाएगी जो वहां बच्चों की चिकित्सा का एकमात्र केंद्र है। शुक्रवार को गृह मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया कि भारत ने मानवीय सहायता के रूप में आज अफगानिस्तान को दो टन आवश्यक जीवन रक्षक दवाओं से युक्त मेडिकल सहायता के तीसरे बैच की आपूर्ति की है। उन्होंने कहा कि भारत अफगानिस्तान को मानवीय आधार पर मदद देने के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है।

भारत की इस मदद की तालिबान ने स्वागत किया है और भारत सरकार को धन्यवाद भी भेजा है। तालिबान सरकार के आधिकारिक प्रवक्ता जबीहुल्ला ने एक ट्विट करके कहा है कि, आज सुबह भारत की तरफ से छह लाख टन चिकित्सा सामग्री काबुल पहुंचा है। इसके पहले भारत ने पांच लाख कोरोना वैक्सीन व दूसरे सामान भेज थे। मानवीय आधार पर आ रही इस मदद व सहयोग के लिए तालिबान सरकार भारत के प्रति आभार व्यक्त करती है।
पहले भी पांच लाख कोविड वैक्सीन व 1.6 टन चिकित्सा सामग्री पहुंचाई गई है। भविष्य में भी हम अफगानिस्तान को चिकित्सा मदद व अनाज आदि पहुंचाते रहेंगे। एक दिन पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि, भारत जल्द से जल्द अफगानिस्तान को 50 हजार टन गेहूं देना चाहता है। इस बारे में पाकिस्तान के अधिकारियों के साथ बातचीत हो रही है। सदन रहे कि पाकिस्तान सरकार ने पिछले महीने ही भारत से काबुल तक गेहूं ले जाने की इजाजत दी है लेकिन इसे किस तरह से लागू किया जाए, इसको लेकर दोनो देशों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है।


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