भारत ने सुरक्षा परिषद की बैठक में आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से रखा अपना पक्ष
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में खुली बहस के दौरान भारत ने आतंकवाद के प्रति दोहरे रवैये की जमकर बखिया उधेड़ी।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में खुली बहस के दौरान भारत ने आतंकवाद के प्रति दोहरे रवैये की जमकर बखिया उधेड़ी। भारत ने कहा कि आतंकवाद के प्रायोजकों को बच निकलने का मौका देना एक दुखद स्थिति को दर्शाता है। ऐसी स्थिति में आतंकवादी ताकतों खासकर राज्य प्रायोजित आतंकी तत्वों के कारण होने वाले खूनखराबे पर किसी की जिम्मेदारी तय करने की बहस अधूरी रहेगी। विदेश राज्य मंत्री डा.राजकुमार रंजन सिंह ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में खुली बहस में कहा कि आज आतंकवाद मानव जाति के लिए सबसे बड़ा खतरा है जो सामाजिक तनाव को बढ़ाता है, समाज को अस्थिरता और हिंसा की ओर धकेलता है।
भारत कर रहा है आतंकवाद के संकट का सामना
वे परिषद के वर्तमान अध्यक्ष अल्बानिया की अध्यक्षता में 'अंतरराष्ट्रीय कानून के गंभीर उल्लंघन के लिए जवाबदेही और न्याय को मजबूत करना' विषय पर बहस में भाग ले रहे थे। उन्होंने कहा कि जब हम जवाबदेही की बात करते हैं, तो यह वास्तव में एक दुखद स्थिति है कि आतंकवाद के प्रायोजकों को बच निकलने का मौका दे दिया जाता है। उन्होंने परिषद को बताया कि भारत, दशकों से सीमा पार आतंकवाद के संकट का सामना कर रहा है। भारत में आतंकी हमलों में हजारों निर्दोष नागरिक मारे गए हैं। इसी वजह से भारत वैश्विक आतंकवाद विरोधी प्रयासों में हमेशा सबसे आगे रहा है।
जवाबदेही के मुद्दे पर अलग-अलग चर्चा नहीं की जा सकती: सिंह
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपने सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद के विरोध पर दृढ़ रहना चाहिए और आतंकवादी कृत्यों के लिए कोई औचित्य प्रदान करने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इराक में दाएश/आइएसआइएल द्वारा किए गए अपराधों के लिए जवाबदेही तय करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की जांच में सहायता के लिए भारत ने भी वित्तीय सहायता प्रदान की है। सिंह ने रेखांकित किया कि जवाबदेही के मुद्दे पर अलग-अलग चर्चा नहीं की जा सकती है, न ही इसे केवल राज्य द्वारा किए गए कथित कृत्यों के संकीर्ण दृष्टिकोण से देखा जा सकता जहां विदेशी ताकतें सक्रिय रूप से शामिल हैं।