दुनियाभर में ऊर्जा संकट के बीच यूरोप में हवाओं की रफ्तार असाधारण रूप से हुई कम, क्या अंधेरे में डूब जाएंगे शहर?
अन्य मॉडल के अनुसार तापमान गर्म होने पर हवा की गति कम होती है।
यूरोप में इस साल गर्मियों में और पतझड़ ऋतु की शुरुआत में लंबे समय तक शुष्क परिस्थितियां रहीं और हवा की गति धीमी रही। भले ही यह मौसम खुशनुमा लगे, लेकिन जब हम इस बारे में विचार करते हैं कि हमारी बिजली कहां से आती है, तो हवा का नहीं चलना एक गंभीर समस्या हो सकती है। जलवायु परिवर्तन से निपटने संबंधी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ऊर्जा प्रणालियों को जीवाश्म ईंधन उत्पादन के बजाए पवन, सौर और पनबिजली जैसी नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भर बनाने के लिए तेजी से बदलाव लाने की आवश्यकता है।
ये बदलाव हमारी ऊर्जा प्रणालियों को मौसम और और जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रभावों के प्रति संवेदनशील बनाते हैं। यूरोप में मौसम और हवा के स्थिर रहने की इस अवधि के कारण पवन ऊर्जा उत्पादन प्रभावित हुआ। उदाहरण के तौर पर, ब्रिटेन स्थित बिजली कंपनी एसएसई ने कहा है कि उसकी नवीकरणीय सुविधाओं ने अपेक्षा से 32 प्रतिशत कम बिजली का उत्पादन किया। ब्रिटेन सरकार की पवन ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनने की योजना को देखते हुए यह शुरुआत में चिंताजनक लग सकता है।
पवन ऊर्जा का उत्पादन करने वाले जानते हैं कि हवा की धीमी रफ्तार की ये 'परिस्थितियां' संभव हैं और उनके प्रभाव को समझना ऊर्जा-मौसम विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र का एक अहम विषय बन गया है। तो क्या हमें धीमी रफ्तार से चलने वाली हवा की अवधि को लेकर चिंतित होना चाहिए? संक्षेप में इसका उत्तर है, 'नहीं'। यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि हम मौसम संबंधी चरम परिस्थितयों का सामना कर रहे है। यह (बाढ़ या तूफान जैसी) मौसम की चरम परिस्थितियों की पारंपरिक परिभाषा भले ही नहीं है, लेकिन धीमी रफ्तार वाली हवा की इन अवधियों को ऊर्जा-मौसम विज्ञान में 'पवन-सूखे' के रूप में जाना जाता है और बिजली प्रणालियों को विश्वसनीय तरीके से संचालित करने के लिए इसे समझना महत्वपूर्ण होता जा रहा है।
रीडिंग विश्वविद्यालय में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर गए गए हाल में प्रकाशित मेरे अनुसंधान में पवन ऊर्जा के उत्पादन में साल-दर-साल परिवर्तनशीलता का हिसाब रखने के महत्व पर प्रकाश डाला गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम इन परिस्थितियों के लिए तैयार हों। हमने यह भी दिखाया है कि मध्य यूरोप पर स्थिर उच्च वायुमंडलीय दबाव की जो अवधि लंबे समय तक धीमी रफ्तार वाली हवा की स्थिति का कारण बनी, वह भविष्य में बिजली प्रणालियों के लिए सबसे अधिक कठिनाई पैदा कर सकती है। जब हम जलवायु परिवर्तन के बारे में सोचते हैं तो हम सतह के निकट हवा की गति में संभावित बदलावों की तुलना में तापमान और वर्षा में परिवर्तन पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, लेकिन पवन ऊर्जा पर निर्भर बिजली उत्पादन प्रणाली के लिए हवा की गति पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है।
तापमान के गर्म होने के साथ हवा की गति में वृद्धि होती है
नवीनतम आईपीसीसी रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप यूरोप में हवा की औसत गति आठ प्रतिशत से 10 प्रतिशत कम हो जाएगी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि निकट-सतह के तापमान की तुलना में जलवायु मॉडल के जरिए हवा की गति का अनुमान लगाना काफी अनिश्चित हैं और विभिन्न मॉडल के विरोधाभासी परिणाम निकलना आम बात है। मैंने और मेरे सहकर्मियों ने हाल में विश्लेषण किया कि छह अलग-अलग जलवायु मॉडल के अनुसार यूरोप में हवा की गति कैसे बदलेगी। कुछ मॉडल के अनुसार, तापमान के गर्म होने के साथ हवा की गति में वृद्धि होती है और अन्य मॉडल के अनुसार तापमान गर्म होने पर हवा की गति कम होती है।