दुनिया की सबसे ठंडी जगह पर वैज्ञानिकों ने 24 हजार वर्ष तक ठंडी कब्र में दफन रहा जीव को जिंदा बाहर निकाला, बाहर आते ही बना दिए अपने जैसे कई जॉम्बी
दुनिया की सबसे ठंडी जगह आर्कटिक के पर्माफ्रास्ट से वैज्ञानिकों ने एक छोटे से जीव को निकाला है, जो कि लगभग 24 हजार वर्ष तक बिना कुछ खाए-पिए ठंडी कब्र में दफन रहा।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया की सबसे ठंडी जगह आर्कटिक के पर्माफ्रास्ट से वैज्ञानिकों ने एक छोटे से जीव को निकाला है, जो कि लगभग 24 हजार वर्ष तक बिना कुछ खाए-पिए ठंडी कब्र में दफन रहा। लेकिन हैरानी की बात यह थी कि जब उसे निकाला गया तो वह सही सलामत था। बाहर आते ही उसने अपने जैसा ही एक जीव बना डाला।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये ऐसे सूक्ष्म जॉम्बी जीव हैं, जो 5 करोड़ वर्ष से धरती के अलग-अलग पानी वाले इलाकों में पाए जा रहे हैं। जहां से इन्हें निकाला गया है, वहां बेहद ठंड है और हर तरफ बर्फ ही बर्फ है। हालांकि, इन जीवों के शरीर पर इसका कोई असर नहीं हुआ है।
जॉम्बी ने भी स्वयं को बचाए रखने के लिए शरीर को जमा लिया था। इन्हें डेलायड रोटीफर्स या व्हील एनिमल्स कहते हैं। ये बहुत सारी कोशिकाओं वाले माइक्रोस्कोपिक जीव हैं। इनके मुंह के चारों ओर बालों का गुच्छा सा बना रहता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमयुग के दौरान आम तौर पर साफ पानी में रहने वाले ये जीव पर्माफ्रॉस्ट में जाकर जम गए। चक्रधर या किरीटी (रोटिफेरा) स्वतंत्र रूप से रहने वाले छोटे-छोटे प्राणी हैं जो सूक्ष्मदर्शनीय होते हैं। इनके शरीर के अगले भाग में एक रोमाभ अंग होता है, जिसके रोमाभ इस तरह गति करते हैं कि देखने वाले को शरीर के आगे चक्र (पहिया) चलता मालूम पड़ता है।
-20 डिग्री के तापमान में भी रह सकते हैं जिंदा
इससे पहले रूसी वैज्ञानिकों को ऐसे रोटिफर्समिल चुके हैं, जो -20 डिग्री के तापमान में 10 साल तक रह सकते हैं। इस बार उनके हाथ एक ऐसा रोटिफर लगा है, जो साइबेरियन पर्माफ्रॉस्ट में दफन हुए थे और ये हजारों साल पहले के हैं। प्लेस्टोसीन एपो काल के इन जीवों को 12 हजार से लेकर 26 लाख साल पहले देखा गया होगा। लेकिन स्वयं की जान को सुरक्षित रखने के लिए बर्फ में जमा लिया।
जिंदा होते ही बनाने लगे क्लोन
वैज्ञानिकों के मुताबिक, डेलॉयड रोटिफर्स को जन्म देने के लिए किसी की जरूरत नहीं होती, क्योंकि ये अलैंगिक होते हैं। ऐसे में इसे वैज्ञानिकों ने जैसे ही जिंदा किया तो, वो अपने क्लोन बनाने लगा। जहां से इन्हें पाया गया है, वहां जमीन जमकर सख्त हो चुकी थी। ऐसे में इसके अंदर रहने वाला कोई भी जिंदा या मरा हुआ जीव सालों तक सुरक्षित रह सकता है।
ऐसा होता है आकार
रोटिफेरा अत्यधिक छोटे जंतुओं की श्रेणी में आते हैं। शरीर लंबाकार होता है। इनकी लंबाई 0.04 से 2 मिलीमीटर तक होती है। लेकिन अधिकतर 0.5 मिलीमीटर से लंबे नहीं होते। आकार में छोटे होने के बावजूद भी इनके शरीर के भीतर अनेक जटिल इंद्रियतंत्र होते हैं, जिन्हें बिना सूक्ष्मदर्शी यंत्र से नहीं देखा जा सकता। इनके सिर (पहला भाग) के बाद का लंबा भाग धड़ कहलाता है और तीसरे भाग को दुम (या फीट भी) कहते हैं।