पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को इमरान ने किया बर्बाद, चालू खाता घाटा नौ अरब डालर पार, कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंसने की आशंका बढ़ी

पाकिस्तान का चालू खाता घाटा (सीएडी) मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में नौ अरब डालर (करीब 670 अरब रुपये) पार कर चुका है, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.7 प्रतिशत है।

Update: 2022-01-23 15:55 GMT

पाकिस्तान का चालू खाता घाटा (सीएडी) मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में नौ अरब डालर (करीब 670 अरब रुपये) पार कर चुका है, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.7 प्रतिशत है। इस पर चिंता जताते हुए विश्लेषकों ने चेताया है कि अगर सीएडी इसी तरह बढ़ता रहा, तो पाकिस्तान जल्द ही कर्ज के जाल में बुरी तरह फंस जाएगा।

स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान ने अर्थव्यवस्था के लिए बताया बड़ा सदमा
डान की रिपोर्ट के अनुसार, स्टेट बैंक आफ पाकिस्तान ने शनिवार को आंकड़े जारी करते हुए बताया कि देश का सीएडी 9.09 डालर पहुंच चुका है, जो पटरी पर लौट रही अर्थव्यस्था के लिए बड़ा व्यापारिक सदमा है। देश का कुल आयात जब निर्यात से अधिक हो जाता है तो उसे चालू खाता घाटा यानी सीएडी कहा जाता है। गत वर्ष नवंबर (1.89 अरब डालर) व दिसंबर (1.93 अरब डालर) में सीएडी लगभग बराबर था। जुलाई से दिसंबर 2021 तक का घाटा एक साल पहले की उसी अवधि के सरप्लस 1.24 अरब डालर (डीजीपी का 0.9 प्रतिशत) के बिल्कुल विपरीत रहा।
आधुनिक मशीनरी के आयात के कारण सीएडी में हुआ इजाफ
पाकिस्तान के सीएडी की सबसे बड़ी वजह आयात है, जो जुलाई से दिसंबर के दौरान 53 फीसद की वृद्धि के साथ 41.66 अरब डालर हो गया। देश की दूसरी तिमाही का सीएडी पहली तिमाही से काफी ज्यादा था। वित्तीय वर्ष 2019-20 व 2020-21 में पाकिस्तान का सीएडी जीडीपी का क्रमश: 1.7 व 0.6 प्रतिशत रहा था। इमरान सरकार का तर्क है कि आधुनिक मशीनरी के आयात के कारण सीएडी में इजाफा हुआ है, लेकिन यह अर्थव्यस्था में वृद्धि की निशानी है। हालांकि, सरकार का तर्क विशेषज्ञों के गले नहीं उतरता। उनका मानना है कि बढ़ता सीएडी आर्थिक वृद्धि के बजाय बड़ी समस्या पैदा कर सकता है।


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