अविश्वास प्रस्ताव में हार के बाद भी कुर्सी पर टिके रहेंगे इमरान खान, जानें कैसे

कुर्सी पर टिके रहेंगे इमरान खान

Update: 2022-04-02 12:15 GMT
पाकिस्तान (Pakistan) के गृह मंत्री शेख राशिद (Sheikh Rashid) ने शनिवार को कहा कि भले ही प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) 3 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव हार जाते हैं. लेकिन जब तक कोई नया नेता प्रधानमंत्री पद की शपथ नहीं लेता है, तब तक इमरान पीएम पद पर बने रहेंगे. शेख राशिद ने कहा, 'पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 94 के अनुसार, विश्वास मत हारने पर भी पीएम बने रहेंगे. हालांकि ऐसा कितने वक्त के लिए होगा? इस पर कानून स्पष्ट नहीं है. हालांकि आने वाले 24 घंटों में पाकिस्तान की राजनीति के हालात हर पल बदल सकते हैं.' पाकिस्तान में इन दिनों सियासी उठापटक बहुत तेज हो गई है.
शेख राशिद ने कहा, 'साजिश करने वालों पर देशद्रोह का मुकदमा होना चाहिए.' उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के सामने अब दो विकल्प हैं. पहला- जल्दी चुनाव कराए जाएं और दूसरा- पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सभी सांसद अपनी सीटों से इस्तीफा दे दें. मंत्री ने आगे कहा, 'अगर सभी पीटीआई सदस्य इस्तीफा दे देते हैं, तो मैं देखना चाहता हूं कि वे देश पर शासन कैसे करते हैं.' उन्होंने कहा, 'विपक्ष पूरी तरह से फंस चुका है. इमरान खान को इस उठापटक से फायदा हुआ है. हमारी सरकार में भी कुछ कमियां हैं. लेकिन मैं ये बात पूरी स्पष्टता के साथ कह सकता हूं कि लोग विपक्ष को भी सरकार में नहीं देखना चाहते हैं.'
नेशनल असेंबली की कार्यवाही सस्पेंड करने की मांग उठी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ रविवार को अविश्वास प्रस्ताव लाया जाना है और इस पर वोटिंग होने वाली है. लेकिन इससे पहले शनिवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका दायर कर नेशनल असेंबली की कार्यवाही सस्पेंड करने की मांग की गई. डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिका में कहा गया कि नेशनल असेंबली के सदस्य पाकिस्तान की राजनीति और अखंडता के खिलाफ काम करने वाले विदेशी दुश्मन देशों के उकसावे पर काम कर रहे हैं. उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के रूप में एक साजिश रची है. उनका इरादा पाकिस्तान की कानूनी रूप से चुनी गई सरकार को हटाना है.
इमरान ने बताया उन्हें तीन ऑप्शन दिए गए
इमरान खान ने विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाने को एक विदेशी साजिश से जोड़ दिया है. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि वह अपने पद से इस्तीफा देने के बजाय जल्दी चुनाव कराना पसंद करेंगे. इमरान ने कहा कि 'प्रतिष्ठान' ने उन्हें तीन विकल्प दिए थे : 'इस्तीफा, अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान या चुनाव.' ऐसे में उन्होंने चुनाव कराने का फैसला किया है. हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि 'प्रतिष्ठान' से उनका इशारा किस तरफ है. पाकिस्तान के 73 साल से अधिक लंबे इतिहास में उस पर आधे से ज्यादा समय तक शक्तिशाली सेना की हुकमूत रही है. पाकिस्तान में सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े मामलों में अब तक सेना का अच्छा-खासा दखल रहा है.
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