इमरान खान: डॉलर के लिए पाकिस्तान, अमेरिका के 'अफगानिस्तान युद्ध' में हुआ शामिल

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान में अमेरिका के 20 साल लंबे ‘आतंक के खिलाफ युद्ध’ में शामिल होने के देश के फैसले पर मंगलवार को अफसोस जताते हुए इसे ‘खुद का घाव’ और पैसे के लिए किया गया फैसला बताया, न कि जनता के हित में.

Update: 2021-12-22 02:46 GMT

फाइल फोटो 

 जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अफगानिस्तान में अमेरिका के 20 साल लंबे 'आतंक के खिलाफ युद्ध' में शामिल होने के देश के फैसले पर मंगलवार को अफसोस जताते हुए इसे 'खुद का घाव' और पैसे के लिए किया गया फैसला बताया, न कि जनता के हित में.

लगभग दो दशक लंबे युद्ध में पाकिस्तान की भागीदारी के लंबे समय से आलोचक रहे इमरान खान ने दावा किया कि वह 2001 में निर्णय लेने वालों के करीब थे जब तत्कालीन सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ ने आतंक के विरुद्ध लड़ाई' का हिस्सा बनने का फैसला किया था.
खान ने इस्लामाबाद में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, "और इसलिए, मैं इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हूं कि फैसले के पीछे क्या विचार थे. दुर्भाग्य से, पाकिस्तान के लोगों के बारे में कुछ नहीं सोचा गया."
इमरान खान बोले, हम खुद जिम्मेदार हैं
सोवियत-अफगान युद्ध का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "इसके बजाय, विचार 1980 के दशक के समान थे, जब हमने अफगान जिहाद में भाग लिया था," जिसे तब "पवित्र युद्ध" कहा जाता था. इमरान ने कहा, "हम खुद जिम्मेदार हैं … जैसा कि हमने [दूसरों] को अपना इस्तेमाल करने दिया, सहायता के लिए अपने देश की प्रतिष्ठा का त्याग किया और पैसे के लिए एक विदेश नीति बनाई जो सार्वजनिक हित के खिलाफ थी."
'युद्ध के परिणाम के लिए किसी और को दोष नहीं दे सकते'
इमरान खान ने 'आतंक के खिलाफ युद्ध' को पाकिस्तान के लिए एक 'खुद का घाव' बताते हुए कहा, "हम इस युद्ध के परिणाम के लिए किसी और को दोष नहीं दे सकते." खान ने पहले भी अक्सर यह उल्लेख किया है कि 20 वर्षों के युद्ध के परिणामस्वरूप पाकिस्तान को 80,000 से अधिक मौतें और 100 बिलियन डॉलर से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ.
'अमेरिका अफगानिस्तान में क्या हासिल करना चाहता था'
इससे पहले 18 दिसंबर को अफगान संकट पर चिंता जताते हुए खान ने कहा कि पड़ोसी देश में लोग भूख से मर रहे हैं और अमेरिका को उनकी सहायता करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि 9/11 (11 सितंबर 2001) के आतंकवादी हमलों में कोई अफगान शामिल नहीं था, इसके बावजूद अमेरिका ने अज्ञात कारणों से अफगानिस्तान पर हमला किया. उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता है कि अमेरिका अफगानिस्तान में क्या हासिल करना चाहता था. तथाकथित युद्ध (आतंकवाद के खिलाफ) के नाम पर उन्होंने 20 साल तक देश पर कब्जा जमाए रखा. अगर लक्ष्य सिर्फ अलकायदा को खत्म करना था, तो वह दो साल में ही पूरा हो गया था."
'अफगानिस्तान अनिश्चितता का शिकार हुआ, तो PAK को इसके नतीजे भुगतने होंगे'
खान ने कहा कि अगर अफगानिस्तान अनिश्चितता का शिकार होता है तो पाकिस्तान को भी इसके परिणाम भुगतने होंगे क्योंकि दोनों देश 2,600 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान के लोगों का समर्थन करने का आग्रह करते हुए बीते 15 दिसंबर को कहा था कि युद्धग्रस्त राष्ट्र को अलग-थलग कर देना दुनिया के लिए 'नुकसानदेह' होगा.
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