इमरान खान ने आखिरकार कट्टरपंथी संगठन के सामने कर ही दिया सरेंडर, TLP से हटाया बैन

पाकिस्तान की सड़कों पर हिंसक विरोध करने वाले कट्टर इस्लामवादियों के सामने आखिरकार इमरान खान की सरकार झुकने पर मजबूर हो ही गई।

Update: 2021-11-07 02:03 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान की सड़कों पर हिंसक विरोध करने वाले कट्टर इस्लामवादियों के सामने आखिरकार इमरान खान की सरकार झुकने पर मजबूर हो ही गई। पहले चरमपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के कई नेताओं की रिहाई और अब इमरान खान ने उस पर से बैन हटा दिया है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने सरकार विरोधी आंदोलन को समाप्त करने के लिए कट्टर इस्लामवादियों के आगे झुकते हुए चरमपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) को प्रतिबंधित संगठनों की सूची से बाहर करने की शनिवार को अनुमति दे दी।

फ्रांस में प्रकाशित ईशनिंदा कार्टून के मुद्दे पर सरकार को फ्रांसीसी राजदूत को निष्कासित करने के लिए मजबूर करने के वास्ते संगठन द्वारा किए गए हिंसक विरोध के बाद अप्रैल में इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था। संगठन पिछले महीने एक बार फिर सड़कों पर उतर आया और हिंसक विरोध के बाद सरकार के साथ उसने एक समझौता किया। हालांकि समझौते का विवरण जनता के साथ साझा नहीं किया गया, लेकिन कुछ नेताओं के बयान से यह सामने आया कि इसमें संगठन पर प्रतिबंध हटाना शामिल था।
हाल के दिनों में टीएलपी कार्यकर्ताओं और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के बीच भीषण टकराव के दौरान 10 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 21 लोगों की जान चली गई। पंजाब सरकार द्वारा गृह मंत्रालय के माध्यम से एक रिपोर्ट भेजे जाने के बाद प्रधानमंत्री खान ने टीएलपी से प्रतिबंध हटाने की मंजूरी दे दी। इससे पहले लाहौर की एक आतंकवाद रोधी अदालत ने प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के कई नेताओं को आतंकवाद संबंधित धाराओं के तहत दर्ज मामलों के तहत जमानत दे दी है। डॉन की रिपोर्ट मुताबिक, सितंबर में पंजाब में TLP कार्यकर्ताओं और सुरक्षा अधिकारियों के बीच हुए हिंसक झड़पों के बाद जमानत पाने वाले लोगों पर आतंकवाद से संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
बता दें कि पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तान प्रतिबंधित इस्लामी कट्टरपंथी समूह (तहरीक-ए-लब्बैक: टीएलपी) के बीच समझौता भी हुआ है, जिसके तहत पाकिस्तान उसके दो हजार से अधिक कार्यकर्ताओं को रिहा करेगा। इसके साथ ही उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति भी देगा। बता दें कि तहरीक-ए-लब्बैक पाक सरकार के खिलाफ मार्च निकाल रहा था। टीएलपी के हजारों सदस्यों ने 15 अक्तूबर को लाहौर से इस्लामाबाद की ओर तब मार्च करना शुरू कर दिया था, जब सरकार ने घोषणा की थी कि वह फ्रांसीसी दूत के निष्कासन की उसकी मांग को पूरा नहीं कर सकती है।


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