इमरान सरकार ने खुद को तालिबान नेताओं का "संरक्षक" बताया, ऑन कैमरा किया कबूल

आतंकी संगठन मानने से इनकार कर दिया था। बता दें कि 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था।

Update: 2021-09-02 03:33 GMT

अफगानिस्तान मसले पर पाकिस्तान लाख दुनिया की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर ले, मगर हकीकत यही है कि सच छिपाए नहीं छिपता। पाकिस्तान की इमरान सरकार ने बुधवार को खुद को तालिबान नेताओं का "संरक्षक" बताया और ऑन कैमरा कबूल किया कि इस्लामाबाद ने अपने देश में तालिबानी आतंकियों को आश्रय दी है और शिक्षा प्रदान की है। दरअसल, एक टीवी शो में पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री शेख राशिद ने खुले तौर पर यह स्वीकार किया है कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार ने तालिबान नेताओं के लिए सब कुछ किया है। बता दें कि तालिबान 20 साल बाद अफगानिस्तान में सत्ता में वापस आया है।

सीएनएन-न्यूज18 की खबर के मुताबिक, पाकिस्तानी मंत्री राशिद ने हम न्यूज के कार्यक्रम 'ब्रेकिंग प्वाइंट विद मलिक' पर बोलते हुए कहा, 'हम तालिबान नेताओं के संरक्षक हैं। हमने लंबे समय तक उनकी देखभाल की है। उन्हें पाकिस्तान में आश्रय, शिक्षा और घर मिला। हमने उनके लिए सब कुछ किया है।' बता दें कि राशिद का बयान ऐसे वक्त में आया है, जब पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने 28 अगस्त को कहा था कि इस्लामाबाद अफगानिस्तान को समर्थन देने के लिए रचनात्मक भूमिका निभाता रहेगा।
बता दें कि पाकिस्तान पर आरोप लगते रहे हैं कि उसने अफगानिस्तान में तालिबान को फिर से जिंदा करने में काफी मदद की है। हथियारों से लेकर आश्रय प्रदान करने में पाकिस्तान ने तालिबान की जमकर मदद की है। तालिबान और पाकिस्तान सरकार के बीच में सामंजस्य बैठाने का काम आईएसआई ने किया। तालिबान और पाकिस्तान की गलबहियां के और भी सबूत सामने आए हैं, जब कंधार में आईएसआई चीफ हमीद फैज ने कंधार में तालिबानी नेताओं से मुलाकात की थी।
इतना ही नहीं, माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार में पाकिस्तान की भी भूमिका हो सकती है। हालांकि, इमरान खान तालिबान को समर्थन देने के आरोपों से इनकार करते रहे हैं। एक बार उन्होने तालिबान को नॉर्मल सिविलियन कहा था और आतंकी संगठन मानने से इनकार कर दिया था। बता दें कि 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था।

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