लद्दाख से कैसे हटेंगी भारत-चीन की सेनाएं, 10 पॉइंट्स में समझिए पूरा मामला
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर मई महीने से जारी गतिरोध जल्द ही खत्म हो सकता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत और चीन (India-China Border Dispute) के बीच पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) सीमा पर मई महीने से जारी गतिरोध जल्द ही खत्म हो सकता है. दोनों देशों की सेनाओं ने यथास्थिति बरकरार रखने के लिए तीन चरणों में पीछे हटने की योजना पर सहमति जताई है. इसके बाद दोनों ओर की सेनाएं अप्रैल-मई वाली अपनी पुरानी स्थिति में वापस अपनी-अपनी जगहों पर लौट जाएंगी. रिपोर्ट के मुताबिक मई 2022 तक यथास्थिति बहाल हो जाएगी. इसके साथ ही चीन सीमा के अग्रिम मोर्चों पर तैनात अपने 400 टैंकों को वापस ले लेगा.
पिछले साल मई में भारत और चीन में जिस तरह विवाद सामने आया था, उसके बाद दोनों ही पक्षों में 13 बार बातचीत भी हुई है. इसके बाद ये तय हुआ कि दोनों देश की सेना अपनी जगहों से हटेंगी. ये वे जगह थीं, जहां दोनों ही सेनाओं के बीच टकराव हुआ था. हालांकि, दोनों ही सेनाओं में अब भी टकराव बना हुआ है. दोनों देश की सेनाएं पिछली बार कई मौकों पर आमने-सामने आईं थीं. दोनों देशों के बीच पिछले हफ्ते 6 नवंबर को चुशुल में 8वीं कोर कमांडर स्तर की बैठक हुई थी. इसी बैठक में तीन चरणों में पीछे हटने की योजना पर चर्चा की गई थी. सूत्रों ने बताया कि योजना को पैंगोंग झील इलाके में हुई बातचीत से एक हफ्ते में पूरा किया जाएगा. इस योजना को तीन चरणों में बांटा गया है.
आइए जानते हैं पूरा मामला और लद्दाख में कैसे हटेंगी दोनों देशों की सेनाएं:-
योजना के पहले चरण में दोनों देशों की आर्म्ड वीकल यानी टैंक, तोपों और हथियारों से लैस सैन्य वाहनों को सीमा पर तैनाती से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से एक महत्वपूर्ण दूरी पर वापस ले जाया जाएगा. दोनों देशों के बीच हुई बातचीत के अनुसार, टैंक और सैन्य वाहन एक दिन के अंदर-अंदर वापस अपने स्थानों को भेजे जाएंगे. दोनों देशों के बीच 6 नवंबर को बैठक हुई थी जिसमें विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव और सैन्य संचालन महानिदेशालय के ब्रिगेडियर घई ने हिस्सा लिया था.
योजना के दूसरे चरण के तहत, पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर दोनों ओर की सेनाएं वापस अपने स्थानों पर लौटेंगी. इसमें तीन दिनों तक रोजाना अपनी-अपनी सैन्य टुकड़ियों को 30 फीसदी तक हटाएंगी. इस चरण में भारतीय सेना धान सिंह थापा के प्रशासनिक पोस्ट के नजदीक वापस आ जाएगी, जबकि चीनी सेना फिंगर 8 से पीछे अपनी पोजिशन पर वापस लौटने को राजी हुई है.
योजना के तीसरे और अंतिम चरण के अनुसार, दोनों ओर की सेनाएं चुशुल और रेजांग ला क्षेत्र के आसपास के इलाकों समेत पैंगोंग झील क्षेत्र के दक्षिणी किनारे से अपनी वर्तमान स्थिति से वापस लौट जाएंगी. इस इलाके में भारतीय सेना ने ऊंचाई वाले इलाकों में कब्जा किया है, जबकि चीन ने भी अपनी पोजिशन यहां मजबूत बना ली थी.
पूर्वी लद्दाख में हाड़ जमा देने वाली सर्दी में भारत के लगभग 50,000 सैनिक किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्वतीय ऊंचाइयों पर तैनात हैं. छह महीने से चले आ रहे इस गतिरोध को लेकर दोनों देशों के बीच पूर्व में हुई कई दौर की बातचीत का अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है. अधिकारियों के अनुसार चीनी सेना ने भी लगभग 50,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं.
भारत-चीन के बीच विवाद अप्रैल 2020 में शुरू हुआ था, जब चीन ने विवादित एलएसी के पूर्वी लद्दाख और अन्य इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों और हथियारों के साथ मोर्चाबंदी की. इससे गलवान घाटी, पैंगोंग और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स जैसे इलाकों में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गईं.
इस गतिरोध ने 15 जून को हिंसक रूप तब ले लिया जब लद्दाख की गलवान घाटी में हुए संघर्ष में 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई. कई महीनों बाद चीन ने इतना ही माना कि इस झड़प में उसके 4 सैनिकों की मौत भी हुई थी जबकि कई जानकार कहते हैं कि चीनी सैनिकों की मौत का आंकड़ा इससे कहीं ज़्यादा था.
इस साल फरवरी में दोनों देशों ने एक समझौते की घोषणा की, जिसके तहत उन्हें पैंगोंग त्सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर चरणबद्ध और समन्वित तरीके से तनाव को कम करना था. इस समझौते के बावजूद एलएसी के कई इलाकों में तैनाती और गश्त से संबंधित कई बकाया मुद्दे हैं, जिनका हल निकालने के लिए दोनों देश बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं.
दोनों देशों के बीच अब भी गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स, डेमचोक और डेपसांग जैसे इलाकों को लेकर चल रहा विवाद सुलझा नहीं है. एलएसी पर भारत और चीन के बीच कई सालों से कम-से-कम 12 जगहों पर विवाद रहा है.
पिछले साल गतिरोध शुरू होने के बाद पांच नए इलाकों में भी दोनों देशों का विवाद सामने आया है. ये पांच इलाके हैं- गलवान क्षेत्र में किलोमीटर 120, पैट्रोलिंग पॉइंट 15, पैट्रोलिंग पॉइंट 17 और पैंगोंग त्सो के दक्षिणी किनारे पर रेचिन ला और रेज़ांग ला.
हाल ही में ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी और ये याद दिलाया था कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए थे कि मौजूदा स्थिति को लंबा खींचना किसी भी पक्ष के हित में नहीं है और यह संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है.