भारत, अमेरिका और यूएई के हिंदुओं ने पाकिस्तान के टेरी मंदिर में की पूजा

पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के करक जिले में स्थित टेरी मंदिर में भारत, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से आए दो सौ से ज्यादा हिंदुओं ने पूजा-अर्चना की।

Update: 2022-01-02 01:25 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के करक जिले में स्थित टेरी मंदिर में भारत, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से आए दो सौ से ज्यादा हिंदुओं ने पूजा-अर्चना की। 100 साल पुराने मंदिर का हाल ही में पुनर्निर्माण कराया गया था। श्रद्धालुओं की सुरक्षा में छह सौ से ज्यादा जवानों को लगाया गया था।

उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने अपने यहां टेरी मंदिर की यात्रा के लिए भारत से मनमाने तरीके से लोगों के चयन की योजना बनाई थी जो भारत को स्वीकार नहीं था। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि अब भारतीय आयोजकों ने 160 तीर्थयात्रियों का चयन किया है जो शनिवार को बाघा-अटारी सीमा के रास्ते पाकिस्तान जाएंगे। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के करक जिले में स्थित यह मंदिर संत श्री परम हंस जी महाराजा से जुड़ा है। इसकी स्थापना 1920 में हुई थी।
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान ने तीर्थयात्रियों के चयन की योजना बनाई थी वह दोनों देशों के बीच तीर्थयात्राओं के आयोजन की भावना के भी खिलाफ था। सूत्रों ने यह भी कहा कि पहले की तरह भारत सरकार तीर्थयात्रियों को हर तरह की सुविधा देने के लिए प्रतिबद्ध है। दोनों देशों के बीच तीर्थयात्रा को लेकर 1974 में एक खाका बना था। इसी के तहत हर साल भारत से सिख श्रद्धालु पाकिस्तान के गुरुद्वारों की यात्रा करते हैं और पाकिस्तान से भी हर साल श्रद्धालु भारत आते हैं।
सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान ने भारत से कुछ चुनिंदा लोगों को पाकिस्तान के टेरी मंदिर आने के लिए गैर-पारदर्शी तरीके से आमंत्रित करने की योजना बनाई थी। यह स्वीकार्य नहीं था। उन्होंने कहा,'यह उस भावना के भी विपरीत था जिसके तहत दोनों पक्ष तीर्थयात्रा करते हैं।' सूत्रों ने कहा, अतीत की तरह ही भारत सरकार भारतीय तीर्थयात्रियों को सभी प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
यह महाराजा परमहंस जी का मंदिर है और मंदिर में ही उनकी समाधि भी है। मंदिर चूंकि टेरी गांव में है, इसलिए इसे टेरी मंदिर भी कहा जाता है। पिछले साल कट्टरपंथियों ने इस मंदिर में भारी तोड़फोड़ की थी, जिसकी विश्व भर में आलोचना हुई थी। इसके बाद प्रांतीय सरकार ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।
तीर्थयात्रियों में भारत के करीब 200, दुबई के 15 और बाकी अमेरिका और अन्य खाड़ी देशों के श्रद्धालु शामिल थे। भारतीय श्रद्धालु वाघा-अटारी सीमा के रास्ते पाकिस्तान में घुसे थे, जहां से उन्हें भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मंदिर तक ले जाया गया।
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