बेबस मां ने किया 37 हजार में बच्ची का सौदा, ताकि दूसरे बच्चों का भर सके पेट

अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद से वहां हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं.

Update: 2021-10-27 03:15 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबानी कब्जे के बाद से वहां हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. आलम ये हो चला है कि पेट की आग बुझाने के लिए महिलाओं को अपने बच्चों को बेचना पड़ रहा है. काबुल में रहने वाली एक महिला ने महज 37 हजार रुपये में अपने बच्ची का सौदा किया. बेबस मां के सामने दूसरा कोई और विकल्प नहीं था, उसे अपने बाकी बच्चों का पेट भरना था, इसलिए नवजात की कुर्बानी देनी पड़ी.

'कुछ दिन चल जाएगा गुजारा'
तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद से महिला के पति के पास कमाई का कोई साधन नहीं बचा है. उनके लिए दो वक्त की रोटी की जुगाड़ करना भी मुश्किल है. ऐसे में बाकी बच्चों का पेट भरने के लिए उसे अपनी नवजात बच्ची का सौदा करना पड़ा. महिला का कहना है कि जो पैसे आए हैं, उससे वो अगले कुछ दिनों तक खाना खा सकेंगे.
बेबस मां ने बयां किया अपना दर्द
रिपोर्ट में महिला की पहचान उजागर नहीं की गई है. अपनी बच्ची का सौदा करने वाली मां ने कहा, 'मेरे बाकी बच्चे भूख से मर रहे थे, इसलिए हमें अपनी बच्ची को बेचना पड़ा. इसके लिए मुझे बहुत दुख है क्योंकि वह मेरी बच्ची है. काश मुझे मेरी बेटी को बेचना न पड़ता. बच्ची के पिता कूड़ा उठाने का काम करते हैं, लेकिन इससे कोई कमाई नहीं होती. हम भूखे हैं, हमारे घर में न आटा है, न तेल है. हमारे पास कुछ नहीं है'.
बड़ा होने पर ले जाएगा खरीदार
महिला ने आगे कहा, 'मेरी बेटी नहीं जानती कि उसका भविष्य क्या होगा. मुझे नहीं पता कि वह इसे बारे में क्या महसूस करेगी, लेकिन मुझे यह करना पड़ा. बच्ची की उम्र अभी कुछ ही महीनों की है. जब वह चलने लगेगी तो खरीदार उसे ले जाएगा'. शख्स ने बच्ची को खरीदने के लिए करीब 500 डॉलर (37,509.50 रुपये) का भुगतान किया है. इससे महिला का परिवार कुछ महीनों तक अपना खर्चा चला सकता है.
Afghanistan में बिगड़ रहे हालात
रिपोर्ट में बताया गया है कि अफगानिस्तान में ऐसे कई परिवार हैं जिन्होंने अपने बच्चों को बेच दिया है या बेचने की तैयार में हैं. यहां सरकारी सुविधाएं पूरी तरह से ठप्प हो चुकी हैं. ऐसे में बीमार बच्चों को इलाज मिलना भी मुश्किल है, जिसके चलते कई मासूम अपनी जान गंवा चुके हैं. बता दें कि तालिबान की वापसी के बाद अफगानिस्तान को मिलने वाला अंतरराष्ट्रीय फंड पूरी तरह से बंद हो चुका है. अभी तक तालिबान को मान्यता नहीं मिली है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि अगर जल्द ही अफगानिस्तान में तत्काल सहायता नहीं पहुंचाई गई तो लाखों लोग मारे जाएंगे.


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