रूह कंपाने वाली खबर, समंदर किनारे देखे गए 27 शव
मरने वालों में एक बच्चा और महिलाएं भी शामिल।
नई दिल्ली: बेहतर जीवन की तलाश में यूरोप जा रहे कम से कम 27 शरणार्थियों के शव पश्चिमी लीबिया के तट पर मिले हैं. लीबिया की रेड क्रिसेंट ने इसकी पुष्टि की है और बताया है कि इनकी मौत नाव पलटने से हुई है. यूरोप जाने वाला यह रास्ता अवैध प्रवासियों के जाने के लिए सबसे खतरनाक रास्ता माना जाता है जहां से अक्सर प्रवासियों के डूबने की खबरें आती रहती हैं. लेकिन फिर भी तमाम शरणार्थियों की एक अच्छी जिंदगी बिताने की ख्वाहिश इन जोखिमों पर भारी पड़ती है और कई बार वो इसकी कीमत अपनी जान गंवाकर चुकाते हैं.
रेड क्रिसेंट की शाखा ने बताया कि राजधानी त्रिपोली से करीब 90 किलोमीटर दूर, तटीय शहर खोम्स में ये शव मिले हैं. सभी शव दो अलग-अलग स्थानों पर शनिवार की देर रात पाए गए थे. इन शवों में एक बच्चा और दो महिलाएं भी शामिल हैं. रेड क्रिसेंट की तरफ से जानकारी दी गई कि तीन अन्य शरणार्थियों को बचा लिया गया है और बाकियों की तलाश की जा रही है.
एक सुरक्षा अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, 'शव जिस सड़ी हुई स्थिति में मिले हैं, उनसे संकेत मिलता है कि जहाज कई दिन पहले डूबा है.' सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. लीबिया के मीडिया संस्थानों द्वारा प्रकाशित तस्वीरों में दिखाया गया है कि लाशों को किनारे पर लिटाया गया है और फिर उन्हें बॉडी बैग में रखा जा रहा है. त्रासदी की ये भयावह तस्वीरें किसी को भी विचलित करने के लिए काफी हैं.
बताया जा रहा है कि ये शरणार्थी लीबिया के रास्ते से यूरोप जाने की कोशिश में थे और नाव के डूबने से इनकी मौत हो गई. अफ्रीकी और एशियाई प्रवासियों के लिए यूरोप जाने का यह प्रमुख और सबसे खतरनाक रास्ता माना जाता है.
संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी (UN Migration Agency) के अनुसार, इस साल मध्य भूमध्यसागरीय मार्ग में कई नाव दुर्घटनाओं और जहाजों के डूबने से लगभग 1,500 शरणार्थियों की मौत हो गई है. उत्तर की ओर बढ़ने से पहले शरणार्थी अक्सर लीबिया में भीड़भाड़ वाले और समुद्र में न जाने योग्य जहाजों पर भीषण परिस्थितियों का सामना करते हैं. ऐसे जहाज खराब हालात में होते हैं जो अक्सर समुद्र में डूब जाते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन (International Organization for Mirgration) के अनुसार, इसी तरह की घटनाओं में एक सप्ताह के भीतर 160 शरणार्थियों की मौत के कुछ दिनों बाद ही ये त्रासदी सामने आई है. इसी के साथ ही ऐसी घटनाओं में इस साल मारे गए लोगों की कुल संख्या 1,500 हो गई है.
IOM का कहना है कि इसी अवधि में 30,000 से अधिक शरणार्थियों को रोका गया जिसके बाद वे लीबिया लौट आए. यूरोपीय संघ यूरोप के तटों पर आने वाले शरणार्थियों की संख्या में कटौती करने के लिए लीबिया के तटरक्षक बल के साथ मिलकर काम भी कर रहा है.
वैसे शरणार्थी जिन्हें यूरोप जाने से रोक दिया जाता है, उनमें से कईयों को शरणार्थी शिविरों में भीषण दुर्व्यवहार का भी सामना करना पड़ता है.