1- क्या इस जंग में रूसी सेना की संभावित जीत होगी?
विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि रूसी सेना का यूक्रेन के अधिकतम क्षेत्रों पर कब्जा करने का उद्देश्य अभी जीवंत है। रूस अब भी राजधानी कीएव पर कब्जा करने और यूक्रेन के अधिकांश हिस्से को अपनी अधीन करने की योजना बना रहा है। रूस डोनबास में अपनी बढ़त को भुना सकता है। रूसी सेना सैनिकों को अन्य जगहों पर उपयोग में लाने के लिए वहां से मुक्त किया जा रहा है, शायद वो एक बार फिर कीएव को भी निशाना बना सकते हैं। यूक्रेन की सेना लगातार नुकसान झेल रही है। राष्ट्रपति जेलेंस्की पहले ही स्वीकार कर चुके हैं कि हर दिन 100 के करीब यूक्रेन के सैनिकों की मौत हो रही है और लगभग 500 घायल भी हो रहे हैं। इस मामले में यूक्रेनी नागिरकों का मत अलग-अलग हो सकते हैं, कुछ संघर्ष जारी रखना चाहते हैं, तो अन्य शांति का रास्ता अख्तियार करने की वकालत करते हैं।
2- क्या यूक्रेनी सेना रूस पर जीत हासिल करेगी?
उन्होंने कहा कि यूक्रेन की तमाम चुनौतियों के साथ यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या यूक्रेन इस जंग में जीत के करीब पहुंच सकता है। क्या यूक्रेनी सेना रूस को वहां खदेड़ने में सफल हो सकती है, जिन जगहों पर रूसी सेना का कब्जा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलेदिमीर जेलेंस्की ऐसा दावा तो जरूर करते हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति ने कई मौकों पर कहा है कि यूक्रेन निश्चित तौर पर इस युद्ध को जीतेगा। उन्होंने कहा इसमें कोई संदेह नहीं है कि यूरोपीय-अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण रूस को नुकसान उठाना पड़ा है। इससे युद्ध के स्तर पर भी असर पड़ा है। यूक्रेन को यूरोपीय देशों और अमेरिका से लगातार सैन्य सहायता मिल रही है। अब यूक्रेन ने अपनी रक्षात्मक नीति को आक्रमण की नीति में बदल दिया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि नीति निर्माताओं ने इसके परिणामों को लेकर पहले ही चिंता जाहिर कर दी है। अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है तो रूसी राष्ट्रपति पुतिन हार को देखते हुए परमाणु हमला कर सकते हैं।
3- क्या यह जंग लंबे समय तक जारी रहेगा?
प्रो पंत ने कहा कि ऐसा भी हो सकता है कि यूक्रेन-रूस जंग लंबे समय तक जारी रहे। उन्होंने कहा कि यह जंग अगर वर्षों तक नहीं तो कम से कम कुछ महीनों तक जारी रहने की पूरी आशंका है। रूस और यूक्रेन की सेनाएं हर रोज एक-दूसरे को टक्कर दे रही हैं। हर रोज एक-दूसरे पर हमला कर रही हैं। ऐसे में इस युद्ध के लंबे समय तक जारी रहने की आशंका प्रबल है। उन्होंने कहा कि इस जंग में कभी एक पक्ष थोड़ा मजबूत बनकर उभरता है तो कभी दूसरा पक्ष। इस युद्ध में दोनों में से कोई भी पक्ष ना तो झुकने को राजी नहीं है। राष्ट्रपति पुतिन ने शायद यह रणनीति बनाई है कि रणनीतिक धीरज का प्रदर्शन करके वह जीत हासिल कर सकते हैं। हालांकि, यूरोपीय देशों ने अभी तक जिस तरह से यूक्रेन की मदद की है उससे लगता है कि वे यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और आगे भी जारी रखेंगे। ऐसे में यह युद्ध एक हमेशा चलते रहने वाले युद्ध में तब्दील होता जा रहा है।