संकट में आई सरकार, आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति का इस्तीफे से इन्कार

संकट में आई सरकार

Update: 2022-04-05 14:25 GMT
कोलंबो, एएनआइ। देश में जारी आर्थिक व राजनीतिक संकट के बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने मंगलवार को अपनी पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों को बताया कि वह अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। हालांकि, संसद में बहुमत साबित करने वाली किसी भी पार्टी को वह सत्ता सौंपने के लिए तैयार हैं। उधर, नियुक्ति के एक दिन बाद ही नए वित्त मंत्री अली साबरी ने इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति ने सोमवार को वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे को बर्खास्त करते हुए उनकी जगह साबरी को नियुक्त किया था। इस बीच, असंतुष्ट सांसद पूर्व राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरिसेन के नेतृत्व में सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग होने की योजना बना रहे हैं।
डेली मिरर समाचार पत्र के अनुसार, आवश्यक सामग्री की कमी व बिजली संकट को लेकर देशभर में जारी प्रदर्शनों के बीच गोटाबाया ने सोमवार को बैठक की। विरोध प्रदर्शनों की शुरुआत के बाद पहली बार संसद सत्र बुलाया गया है, जिसमें स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने मतों के आधार पर यह तय करेंगे कि 225 सदस्यीय सदन में किसके पास बहुमत का जादुई आंकड़ा (113 सीटें) उपलब्ध है। सरकार के खिलाफ लोगों के आक्रोश व आर्थिक संकट को देखते हुए रविवार को 26 कैबिनेट मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति गोटाबाया के सरकार में शामिल होने के प्रस्ताव को विपक्षी दल ठुकरा चुके हैं।
समाचार पत्र ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के छिटकने और सत्तारूढ़ दल के कुछ सांसदों के तटस्थ रहने की धमकी देने के बाद सरकार दो-तिहाई बहुमत खो चुकी है। हालांकि, सत्तारूढ़ श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) सामान्य बहुमत का आंकड़ा (113) बनाए रखने के प्रयास में जुटी हुई है।
प्रेट्र के अनुसार, असंतुष्ट सांसद उदय गमनपिला ने सोमवार को कहा था कि बजट सत्र के दौरान हुए मतदान में सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 157 मत थे, लेकिन इनमें से 50-60 सदस्य छिटक सकते हैं। असंतुष्टों का दावा है कि सिरिसेन के 14 सांसदों के अलावा गठबंधन के 16 अन्य सदस्य भी बागी हो सकते हैं। विपक्ष को उम्मीद है कि एसएलपीपी के 20 सदस्य उसके पक्ष में आ सकते हैं। हालांकि, एसएलपीपी सांसद रोहिता अभयगुणवर्धना ने दावा किया कि सरकार को 138 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है।
प्रेमदासा ने की राष्ट्रपति प्रणाली खत्म करने की मांग
विपक्ष के नेता सजीथ प्रेमदासा ने राष्ट्रपति प्रणाली खत्म करने की मांग करते हुए कहा, 'करीब 20 साल से सभी नेताओं ने राष्ट्रपति प्रणाली खत्म करने का वादा तो किया, लेकिन उल्टा इसे मजबूत ही किया।' उन्होंने नई चुनाव प्रणाली भी लागू करने की मांग की।
मत्स्य उद्योग भी बेहाल
ईंधन की कमी का सीधा असर श्रीलंका के मत्स्य उद्योग पर पड़ा है। मछुआरों को उनकी नावों के संचालन के लिए प्रति दिन 30 लीटर केरोसिन तेल की जरूरत होती है। अब उन्हें प्रति हफ्ते किसी प्रकार 20 लीटर केरोसिन तेल मिल पा रहा है। यहां तक कि मछलियों को सुरक्षित रखने के लिए बर्फ भी उपलब्ध नहीं है।
कई प्रदर्शनकारी गिरफ्तार, पुलिस ने चेताया
श्रीलंकाई पुलिस ने सोमवार देर रात वीडियो फुटेज के आधार पर कई प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से कानून हाथ में नहीं लेने अथवा कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी है।
1.5 अरब डालर हुआ श्रीलंका का कर्ज, पर जारी रहेगी मदद : भारत
श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने खास बातचीत में कहा कि द्वीपीय राष्ट्र को खाद्य सामग्री व ईंधन की खरीद के लिए दिए जाने वाला कर्ज 1.5 अरब डालर पहुंच चुका है। 50 करोड़ डालर तेल व एक अरब डालर खाद्य सामग्री की खरीद के लिए प्रदान किए गए हैं। संकटग्रस्त पड़ोसी देश को जनवरी से अबतक समग्र रूप में 2.5 अरब डालर की मदद दी जा चुकी है और यह सिलसिला जारी रहेगा।
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