पूर्व राजनयिक ने कहा- आतंकवाद के मामले में भारत उनके देश से कहीं ज्यादा पीडि़त रहा
हालांकि, मुझे लगता है कि हम सभी को उन रणनीतियों के बारे में बहुत कुछ सीखना है जो इसपर काम करती हैं।
अमेरिका के पूर्व राजनयिक जार्ज मूस ने मंगलवार को कहा कि आतंकवाद के मामले में भारत उनके देश से कहीं ज्यादा पीडि़त रहा है। भारत न सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में, बल्कि भू-रणनीतिक व सुरक्षा मामलों में भी अमेरिका का अहम साझेदार रहा है और आगे भी रहेगा। संयुक्त राज्य शांति संस्थान (यूएसआइपी) के उपाध्यक्ष मूस ने वाशिंगटन में '9/11 के 20 साल : अमेरिकी शांति निर्माण नीति का विकास' विषय पर आनलाइन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका आतंकवाद से निपटने के भारत के तौर-तरीके का भी सम्मान करता है।
मूस से जब पूछा गया कि क्या अमेरिका की तरह आतंकवाद से पीड़ित रहा भारत भी इस समस्या से निपटने में अहम भूमिका अदा कर सकता है तो मूसा ने हां में जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि जब आतंकी हमलों की बात आती है तो भारत को अमेरिका से कहीं ज्यादा नुकसान हुआ है। हम भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों व नियमों के संदर्भ में आतंकवाद से निपटने के तौर-तरीकों का सम्मान करते हैं।'
मूस ने कहा कि हाल ही में वाशिंगटन में अपनी द्विपक्षीय बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच भी भारत की भागीदारी को लेकर बात हुई। 24 सितंबर को बैठक के बाद राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों, भारत और अमेरिका के बीच संबंध मजबूत और गहरे हो रहे हैं। बाइडन ने पहली बार व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री मोदी की मेजबानी की थी। द्विपक्षीय बैठक में कोरोना महामारी का मुकाबला करना, जलवायु परिवर्तन, व्यापार और इंडो-पैसिफिक को लेकर चर्चा हुई।
भारत और अमेरिका के बीच सहयोग के सवाल पर मूस ने कहा कि भारत न केवल एशिया और दक्षिण एशिया के निकटवर्ती क्षेत्र में बल्कि अमेरिका के लिए एक प्रमुख भागीदार है और रहेगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका हिंसक उग्रवाद का विरोध करने के लिए रणनीतियों को समझने और विकसित करने का प्रयास कर रहा है। अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि हमने उन खतरों से निपटने के तरीकों को बेहतर ढंग से समझने में भारत के अनुभव से मदद मिल रही है। हालांकि, मुझे लगता है कि हम सभी को उन रणनीतियों के बारे में बहुत कुछ सीखना है जो इसपर काम करती हैं।