विदेश मंत्री जयशंकर ने किया खुलासा, पिता सुब्रह्मण्यम इंदिरा गांधी ने...

Update: 2023-02-22 16:22 GMT

नई दिल्‍ली। केंद्र की मोदी सरकार में विदेश मंत्री बनाए गए एस जयशंकर किसी साधारण परिवार से नहीं बल्कि नौकरशाह परिवार से आते हैं। उनके दादा, चाचा और भाई सभी नौकरशाह रहे हैं। उन्होंने खुद भी लंबे समय तक विदेश सेवा में अपना योगदान दिया है, यहां तक कि जयशंकर के पिता भी सचिव थे।

जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने खुलासा किया है कि जब 1980 में प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी दोबारा प्रधानमंत्री चुनी गईं तो पीएम इंदिरा ने उनके पिता के सुब्रह्मण्यम को सचिव पद से निकाल दिया गया। वह पहले सचिव थे, जिस पर ऐसी कार्रवाई हुई। इसके बाद राजीव गांधी के कार्यकाल के दौरान भी उन्हें बाहर रखा गया।

जयशंकर ने बताया कि उनके पिता बहुत ईमानदार थे, हो सकता है समस्या इसी वजह से हुई हो। जब उनकी मृत्यु हुई तो तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने उनकी तारीफ की थी। कहा कि भारत की रक्षा, सुरक्षा और विदेश नीतियों के विकास में उनका योगदार अविस्मरणीय है। विदेश मंत्री एस जयशंकर के पिता, के सुब्रह्मण्यम, एक आईएएस अधिकारी थे और भारत के सबसे प्रतिष्ठित रणनीतिक विचारकों में से एक थे, जो भू-राजनीति पर एक विशाल अनुभव भी रखते थे। उन्होंने कई भारतीय प्रधानमंत्री रक्षा एक्सपर्ट मान चुके हैं।

बता दें कि विदेश मंत्री जयशंकर ने एक साक्षात्कार में कहा कि “मैं सबसे अच्छा विदेश सेवा अधिकारी बनना चाहता था और मेरे विचार से, सर्वोत्तम की परिभाषा जो आप कर सकते हैं वह थी एक विदेश सचिव के रूप में ही करियर समाप्त होना। हमारे घर में दबाव भी था, मैं इसे प्रेशर नहीं कहूंगा, लेकिन हम सभी इस बात से वाकिफ थे कि मेरे पिता जो कि एक ब्यूरोक्रेट थे, सेक्रेटरी बन गए थे, लेकिन उन्हें सेक्रेटरीशिप से हटा दिया गया। वह उस समय 1979 में जनता सरकार में संभवत: सबसे कम उम्र के सचिव बने थे।

जयशंकर ने कहा कि 1980 में, वह रक्षा उत्पादन सचिव थे। 1980 में जब इंदिरा गांधी दोबारा चुनी गईं, तो वे पहले सचिव थे जिन्हें उन्होंने हटाया था और वह सबसे ज्ञानी व्यक्ति थे जिससे हर कोई वाकिफ था।” विदेश मंत्री ने कहा कि उनके पिता बहुत ईमानदार व्यक्ति थे, और “हो सकता है कि समस्या इसी वजह से हुई हो, मुझे नहीं पता।

उन्‍होंने कहा कि लेकिन तथ्य यह था कि एक व्यक्ति के रूप में उन्होंने नौकरशाही में ही अपना करियर देखा। उसके बाद वे फिर कभी सचिव नहीं बने। राजीव गांधी काल के दौरान जूनियर को कैबिनेट सचिव बनाने के लिए उन्हें हटा दिया गया था जो बाद कैबिनेट सचिव बन गए थे। यह कुछ ऐसा था जिसे उन्होंने महसूस किया हमने शायद ही कभी इसके बारे में बात की हो। इसलिए जब मेरे बड़े भाई सचिव बने तो उन्हें बहुत गर्व हुआ।

जयशंकर के भाई,आईएएस अधिकारी एस विजय कुमार, भारत के पूर्व ग्रामीण विकास सचिव हैं। उनके एक और भाई हैं इतिहासकार संजय सुब्रह्मण्यम।

सिविल सेवक और रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ के रूप में अपने लंबे करियर में उपलब्धियों के अलावा, कारगिल युद्ध समीक्षा समिति की अध्यक्षता करने और भारत की परमाणु निरोध नीति का समर्थन करने के लिए जाना जाता है। 2011 में जब उनका निधन हुआ, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि सुब्रह्मण्यम ने भारत की रक्षा, सुरक्षा और विदेश नीतियों के विकास में महत्वपूर्ण और स्थायी योगदान दिया है। तत्कालीन पीएम ने कहा था, “सरकार के बाहर उनका काम शायद और भी प्रभावशाली है पर उन्होंने देश में रक्षा अध्ययन के क्षेत्र को आगे बढ़ाया और विकसित किया।”

तत्कालीन उपराष्ट्रपति, हामिद अंसारी ने उन्हें 'भारत में सामरिक मामलों के समुदाय के प्रमुख' के रूप में वर्णित किया और कहा कि वह 'हमारी सुरक्षा नीति सिद्धांत के प्रमुख वास्तुकारों में से एक हैं। वह नीति निर्माताओं और नागरिकों को रणनीतिक मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनाने और उनसे निपटने के लिए नीतिगत विकल्पों के निर्माण में मदद करने में सहायक थे।

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