विदेशी विशेषज्ञों का दावा, ब्रिटेन में मिला वायरस का स्वरूप होने का शक तो बेकाबू नहीं कर रहा देश में संक्रमण
कई विशेषज्ञों का कहना है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : कई विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कोरोना वायरस के म्युटेंट स्वरूप बी1.61 से संक्रमण अंधाधुंध रफ्तार से बढ़ा है, लेकिन कुछ विदेशी शोधकर्ताओं का निष्कर्ष कुछ अलग है। उनके मुताबिक, ब्रिटेन में पिछले साल मरीजों से अस्पताल भर देने वाला वायरस का भी 1.1.7 स्वरूप देश में हालत गंभीर करने की वजह हो सकता है। बी1.617 की पहचान सबसे अधिक महाराष्ट्र में हुई तो बी1.1.7 के मामले दिल्ली में तेजी से बढ़ रहे हैं।
विदेशी विशेषज्ञों का दावा, बहरूपिये 1.617 के साथ बी 1.1.7 भी हालात को बना रहा गंभीर
देश में संक्रमण के बेकाबू रफ्तार के पीछे चिकित्सकों को इसी स्वरूप के होने का ही पूरा शक है। टीका लगवा चुके लोगों के संक्रमण होने के कारण म्युटेंट वायरस पर ही वैज्ञानिक का ध्यान जा रहा है।
देश के अलग-अलग क्षेत्रों में कोरोना का नया स्ट्रेन हावी
दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियक सर्जन डॉक्टर सुजाय शाद का कहना है कि वह हमारी की मौजूदा लहर का चिकित्सा सभा पूरी तरह अलग है ये युवाओं को अपना शिकार बना रहा है, इससे पूरा परिवार प्रभावित हो रहा है। ये सब पूरी तरह नया है क्योंकि 2 महीने का बच्चा भी इसकी चपेट में आ रहा है। डॉक्टर संक्रमित हो रहे हैं।
लोगों और सरकार की लापरवाही से वायरस को मिली ताकत
विशेषज्ञों का कहना है, भारत में लोगों और सरकार की लापरवाही से वायरस को ताकत मिली। हाल के कुछ महीनों में स्कूल-कॉलेज भी खुले। नतीजों में दूसरी लहर में सबसे ज्यादा युवा चपेट में आ रहे हैं। तमिलनाडु के वरिष्ठ वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर ठेकेकारा जैकब जॉन का कहना है कि देश की स्वास्थ्य सेवाएं घरेलू स्ट्रेन को लेकर तैयार नहीं थी। असल में हम वायरस के नए स्ट्रेन को देख ही नहीं रहे थे और अब हमारी नाव मझधार में फंस चुकी है।
अभी भी कुछ स्पष्ट नहीं है कि नया स्ट्रेन कब तक खत्म होगा और टीका इसके खिलाफ कैसे काम करेगा। वे कहते हैं, बी.1.1.7 स्वरूप की मौजूदगी देश के कोरोना महामारी संकट को और गहरा कर सकती है। वैज्ञानिक के मुताबिक नए स्वरूप पिछले साल संक्रमित करने वाले स्ट्रेन ज्यादा तेजी से लोगों को चपेट में ले रहे हैं। व्यापक डाटा का अभाव भी नए स्वरूपों की पड़ताल को मुश्किल बना रहा है। इसके अलावा तेजी से रूप बदल रहा वायरस भी वैज्ञानिकों को छका रहा है। इससे मरीज पर दवाओं के होने वाले लाभ पर भी असर पड़ रहा है।