इस महीने NATO में शामिल हो सकते हैं फिनलैंड-स्वीडन, तेज हुई बातचीत, 'भड़क' सकता है रूस

स्वीडन और फिनलैंड के बीच इन दिनों टॉप-लेवल की बातचीत बढ़ गई है.

Update: 2022-05-02 04:47 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। स्वीडन और फिनलैंड (Finland) के बीच इन दिनों टॉप-लेवल की बातचीत बढ़ गई है. ऐसे में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि दोनों मुल्क 16 मई को संयुक्त रूप से नाटो में शामिल होने का ऐलान कर सकते हैं. दरअसल, स्वीडन की प्रधानमंत्री मैग्डेलेना एंडरसन और फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन बर्लिन के पास श्लॉस मेसेबर्ग में जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज (Olaf Scholz) के साथ मुलाकात करेंगी. तीनों नेताओं के बीच ये मुलाकात तीन मई को होने वाली है. इसमें सुरक्षा मुद्दों को लेकर चर्चा होगी, लेकिन बैठक के दौरान दोनों मुल्कों के नाटो में शामिल होने पर भी बात होगी. अगर ऐसा होता है, तो रूस भड़क सकता है.

फिनलैंड और स्वीडन द्वारा मई के मध्य में नाटो सदस्यता पर एक संयुक्त घोषणा प्रस्तुत करने की संभावना इसलिए भी प्रबल दिखाई देती है. क्योंकि 29 अप्रैल को फिनलैंड और स्वीडन के विदेश मंत्रियों ने हेलसिंकी में वार्ता के दौरान इस पर चर्चा की थी. फिनलैंड और स्वीडन के लिए सदस्यता प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए नाटो खुद बेताब नजर आ रहा है. दरअसल, नाटो चीफ जेन्स स्टोल्टेनबर्ग (Jens Stoltenberg) ने 28 अप्रैल को फिनलैंड के राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ सौली निनिस्टो के साथ बातचीत की थी. इस दौरान उन्होंने नाटो में उनके देश को शामिल करने को लेकर भी बातचीत की थी.
कब दोनों देश नाटो में शामिल हो सकते हैं?
इस बात की उम्मीद की जा रही है कि फिनलैंड मई के पहले या दूसरे सप्ताह में नाटो की सदस्यता पर फैसला ले सकता है. प्रधानमंत्री मारिन की सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा अंतिम फैसले की पुष्टि की जाएगी. हालांकि, सरकार की विदेश और सुरक्षा नीति समिति का फैसला भी अहम रहने वाला है. स्वीडन में 24 अप्रैल को नाटो में शामिल होने की तत्काल जरूरत पर जोर दिया गया. सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा नीति मूल्यांकन प्रस्तुत करने का फैसला किया. प्रधानमंत्री एंडरसन ने इसे 'नाटो सॉल्यूशन' के तौर पर बताया. सुरक्षा रिपोर्ट मई के मध्य में तैयार हो जाएगी. ऐसे में इसके बाद ही स्वीडन नाटो में शामिल होने का फैसला कर सकता है.
रूस के साथ बिगड़े संबंध
दूसरी तरफ, फिनलैंड, स्वीडन और रूस के रिश्ते नाटो के मुद्दे को लेकर खराब होते जा रहे हैं. दरअसल, दोनों ही मुल्कों ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की शुरुआत करने पर यूरोपियन यूनियन और अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों का समर्थन किया है. साथ ही मॉस्को पर अधिक कड़े प्रतिबंध लगाने की बात भी की है. इसके अलावा, स्वीडन ने यूक्रेन को युद्ध में लड़ने के लिए हथियारों की सप्लाई भी की है. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की शुरुआत 24 फरवरी को हुई थी. इसके बाद से ही अभी तक युद्ध जारी है. इस युद्ध की वजह से अभी तक लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा है.
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