यमन सरकार और हूती विद्रोहियों के बीच भीषण युद्ध जारी, दो दिन के भीतर 130 से अधिक लोगों की मौत

यमन में सरकार समर्थित लड़ाकों और हूती विद्रोहियों के बीच जारी जंग में दो दिन के भीतर 130 से अधिक लोगों की मौत हो गई है.

Update: 2021-09-30 05:27 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यमन में सरकार समर्थित लड़ाकों और हूती विद्रोहियों के बीच जारी जंग (Yemen Civil War)में दो दिन के भीतर 130 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. मृतकों में अधिकतर विद्रोही हैं. इस बात की जानकारी अधिकारियों ने दी है. ताजा लड़ाई मारिब शहर को लेकर हो रही है, जिसे रणनीतिक रूप से काफी अहम माना जाता है. करीब दो हफ्ते पहले लड़ाई में 50 लोगों के मारे जाने की खबर आई थी. अमेरिका वर्षों से जारी यमन युद्ध को खत्म करने की पूरी कोशिश कर रहा है. लेकिन इन कोशिशों के बावजूद लड़ाई में बिल्कुल कमी नहीं आ रही.

राष्ट्रपति जो बाइडन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलीवान (Jake Sullivan) ने इस मसले को सुलझाने के लिए सऊदी अरब का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Crown Prince Mohammed bin Salman) के साथ मुलाकात भी की. यमन में साल 2014 से गृह युद्ध की स्थिति बनी हुई है. तब ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने राजधानी सना और देश के ज्यादातर उत्तरी हिस्से को अपने कब्जे में ले लिया था.
हूतियों के कब्जे के बाद राष्ट्रपति अब्द-रब्बू मंसूर हादी और उनकी सरकार के अधिकारी पहले उत्तरी हिस्से की तरफ भागे और फिर ये लोग सऊदी अरब चले गए. इसके बाद सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन ने मार्च 2015 में यमन युद्ध में प्रवेश किया. इस गठबंधन को अमेरिका का समर्थन भी मिला, इन्होंने मिलकर मंसूर हादी की मान्यता प्राप्त सरकार को यहां लाने के लिए हूतियों के खिलाफ जंग छेड़ दी. हालांकि जो बाइडेन ने अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद यमन युद्ध से अमेरिका को बाहर कर लिया है.
सबसे बड़ा मानवीय संकट खड़ा हुआ
लगातार किए गए हवाई हमलों के बावजूद लड़ाई तेजी से बढ़ रही है. जिसके चलते यहां दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट खड़ा हो गया है. विद्रोहियों ने इस साल की शुरुआत से एक बार फिर मारिब पर हमले करना शुरू कर दिया. शहर की बड़ी आबादी पहले ही अपने घरों को छोड़ चुकी है. हूती विद्रोही देश के उत्तरी हिस्से पर अपना पूरा नियंत्रण स्थापित करने के लिए मारिब को कब्जे में लेने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन इन्हें गठबंधन के कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है.


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