एक्‍सपर्ट व्‍यू- नए साल में अमेरिका और चीन के बीच बढ़ सकता है टकराव, बाइडन प्रशासन के तिब्‍बत कार्ड में उलझा ड्रैगन

नए साल में ताइवान और तिब्‍बत को लेकर अमेरिका और चीन के बीच टकराव बढ़ सकता है।

Update: 2022-01-03 03:22 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नए साल में ताइवान और तिब्‍बत को लेकर अमेरिका और चीन के बीच टकराव बढ़ सकता है। ताइवान और तिब्‍बत को लेकर एक शीत युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं। नए वर्ष के ठीक पहले अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने तिब्बत मामले के लिए भारतीय मूल की राजनयिक अजरा जिया को अपना स्पेशल को-आर्डिनेटर नियुक्त करके चीन को उकसा दिया है। अमेरिका के इस कदम से चीन पूरी तरह से तिलमिलाया है। एक तो मामला त‍िब्‍बत में अमेरिकी हस्‍तक्षेप और दूसरा भारतीय मूल के राजनयिक की नियुक्ति से चीन पूरी तरह से बौखला गया है। बाइडन प्रशासन के इस कदम से यह आशंका प्रबल हो गई है कि नए साल में भी अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ना तय है।

 1- प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि कूटनीतिक मोर्चे पर चीन और अमेरिका के बीच संघर्ष होना तय है। चीन के खिलाफ बाइडन प्रशासन अपनी एक ठोस रणनीति जरूर बनाएगा। इस वर्ष भी दोनों देशों के बीच कूटनीतिक जंग के तेज होने के आसार हैं। कूटनीतिक मोर्चे पर बाइडन प्रशासन ने अपना एजेंडा सेट कर लिया है। इसलिए चाहे ताइवान का मसला हो या तिब्‍बत का दोनों मोर्चे पर कूटनीतिक जंग के ज्‍यादा आसार हैं। उन्‍होंने कहा कि बाइडन का लोकतांत्रिक देशों का सम्‍मेलन इसी कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए। लोकतांत्रिक सम्‍मेलन चीन और रूस को लेकर ही केंद्र‍ित था। ऐसा करके बाइडन प्रशासन ने संकेत दिया है कि भविष्‍य में दोनों देशों के बीच वैचारिक जंग और तेज होगी।
2- प्रो. पंत का कहना है कि यह हो सकता है राष्‍ट्रपति बाइडन चीन से सीधे जंग के बजाए कूटनीतिक मोर्चे पर घेरने की तैयारी में हो। यही कारण है कि बाइडन प्रशासन ने बहुत चतुराई से तिब्‍बत का मुद्दा छेड़कर चीन का ध्‍यान ताइवान की और से हटाया है। राष्‍ट्रपति बाइडन ऐसे कई मोर्चों पर चीन का ध्‍यान बांटना चाहता है। इसमें तिब्‍बत के साथ उइगर मुस्लिमों की समस्‍या भी शामिल है। बाइडन प्रशासन इस जुगत में हैं कि चीनी राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग का ध्‍यान ताइवान से ज्‍यादा तिब्‍बत और चीन में उइगर मुस्लिमों की ओर खींचा जाए। इन मसलों को लेकर दोनों देशों के बीच एक नए तरह का शीत युद्ध शुरू हो सकता है।
3- प्रो. पंत का कहना है कि अमेरिका कभी भी चीन के साथ किसी तरह का सैन्‍य मुठभेड़ नहीं करना चाहेगा। अलबत्‍ता कूटनीतिक मोर्चे पर वह चीन को नई चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रहा है। इसलिए यह कयास लगाया जा रहा है कि नए वर्ष में दोनों देशों के बीच कूटनीतिक जंग के तेज होने के आसार हैं। इसलिए नए साल में चाहे ताइवान का मसला हो या तिब्‍बत का दोनों मोर्चे पर कूटनीतिक जंग के आसार हैं।
4- प्रो. पंत का कहना है कि हिंद-प्रशांत के क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी और रणनीतिक सक्रियता बढ़ा चुका अमेरिका ताइवान और त‍िब्‍बत के बहाने चीन पर तीर तानने का अवसर नहीं खोना चाहता। उन्‍होंने कहा कि ताइवान, अमेरिका और चीन के बीच टकराव का बड़ा कारण बन सकता है। यदि ऐसा होता है कि क्वाड की चौकड़ी में अमेरिका का अहम साझेदार और हिंद महासागर में बड़ी ताकत रखने वाले भारत की भूमिका को नजरअंदाज करना मुमकिन नहीं होगा। यही वजह है कि अमेरिका इन दिनों ताइवान के हितों की हिफाजत का हवाला देते हुए बीजिंग पर निशाना साध रहा है।
भारतीय मूल के राजनयिक अजरा को मिली जिम्‍मेदारी
राष्‍ट्रपति बाइडन ने भारतीय मूल के राजनयिक अजरा को तिब्‍बत पर एक समझौते के लिए चीन और दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के बीच ठोस बातचीत को आगे बढ़ाने की जिम्‍मेदारी सौंपी है। प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने ऐसा करके तिब्‍बत के मामले को एक बार फ‍िर हवा दी है। हांगकांग और ताइवान की तरह चीन तिब्‍बत को अपना हिस्‍सा मानता है। ऐसा करके अमेरिकी राष्‍ट्रपति ने यह संकेत दिया है कि तिब्‍बत भी एक स्‍वतंत्र क्षेत्र है। अमेरिका तिब्‍बत को चीन का हिस्‍सा नहीं मानता है। प्रो पंत का कहना है कि लोकतंत्र पर हमले के बाद राष्‍ट्रपति बाइडन प्रशासन ने तिब्‍बत के मामले को हवा दी है।
चिनफ‍िंग ने अपने नए साल के संबोधन में ताइवान के एकीकरण
गौरतलब है कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफ‍िंग ने अपने नए साल के संबोधन में ताइवान के एकीकरण को नई आकांक्षा के रूप में हरी झंडी दिखाई। इस दौरान उन्होंने सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। चिनफ‍िंग ने नए साल की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि हमारी मातृभूमि का पूर्ण एकीकरण ताइवान स्ट्रेट की साझा आकांक्षा है। शी ताइवान संदर्भ को इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य पश्चिमी देशों का ताइपे को समर्थन है। यह समर्थन बीजिंग के लिए चिंता का विषय है। चिनफ‍िंग ने अपने 10 मिनट के भाषण में कम्युनिस्ट पार्टी के 100 साल पूरे होने पर प्रकाश डाला।
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