विशेषज्ञ: रूस ने यूक्रेन पर किया हमला तो चीन को मिलेगा ताइवान पर मौका, तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा
बाद में वह 2017 में रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट के अध्यक्ष बन गए।
रूस और यूक्रेन के लाखों सैनिक सीमा पर भारी हथियारों के साथ आमने-सामने हैं। यूरोप में भीषण जंग की आहट सुनाई देने लगी है। रूस को घेरने के लिए नाटो देशों ने भी अपनी कार्रवाई को तेज कर दिया है। नाटो देश तबाही मचाने वाले फाइटर जेट से लेकर जंगी जहाज रूस के पास तैनात कर रहे हैं। इस बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि रूस अगर यूक्रेन पर कब्जा करता है तो भविष्य में दुनिया के हर कोने में संघर्ष शुरू हो सकता है और इससे आगे चलकर तीसरा विश्वयुद्ध छिड़ सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस पूर्वी यूरोप में अपने कदम वापस खींचता नहीं दिख रहा है और उसकी आक्रामकता बनी हुई है। रूस ने एक लाख सैनिकों को यूक्रेन की सीमा पर तैनात किया है। रूसी हमले के खतरे को देखते हुए अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने अपने दूतावास में स्थित नागरिकों से कहा है कि वे यूक्रेन को छोड़कर चले जाएं। अमेरिका का एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस हैरी एस ट्रूमैन अब नाटो के नियंत्रण में आ गया है। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है जब अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर नाटो के नियंत्रण में आया है।
अमेरिका ने 8500 सैनिकों को तैयार रहने का आदेश दिया
तनाव को बढ़ता देख अमेरिका ने अपने 8500 सैनिकों को तैयार रहने का आदेश दिया है। अमेरिका के हेनरी जैक्सन सोसायटी में वरिष्ठ शोधकर्ता इजाबेल सावकिन्स कहती हैं कि पूर्वी यूरोप में कोई भी संभावित संघर्ष केवल वहां की सीमा तक नहीं सीमित रहेगा। उन्होंने कहा, 'इस संकट में यह क्षमता है कि वह विश्व के हर कोने में भड़क सकता है।' उन्होंने कहा कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग यूक्रेन संकट पर 'नजर बनाए हुए होंगे।'
इजाबेल ने कहा, 'अगर रूस यूक्रेन पर कब्जा करता है तो शी जिनपिंग ताइवान पर कब्जे का दुस्साहस कर सकते हैं। चीन और रूस दोनों का ही मानना है कि क्रमश: ताइवान और यूक्रेन उसके हिस्सा हैं।' ताइवान को चीन अपना हिस्सा मानता है और चीन कई बार सैन्य कार्रवाई की धमकी दे चुका है। हाल ही में चीन ने ताइवान के पास 39 तबाही मचाने वाले फाइटर जेट भेजे थे। इजाबेल ने चेतावनी दी कि कोई भी रूस को प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने से रोक नहीं सकता है।
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'रूस की धमकी अपरिपक्वता का प्रतीक'
उन्होंने कहा कि रूस का लैटिन अमेरिकी देशों के साथ संबंधों का इतिहास रहा है। रूस को अफ्रीका में भी पहुंच बनाने से कोई रोक नहीं सकता है। हाल ही में रूस के उप विदेश मंत्री ने चेतावनी दी थी कि रूस लैटिन अमेरिका में अपने सैनिकों की तैनाती कर सकता है। वहीं यूक्रेन के राजनीतिक विशेषज्ञ तारस कूजिओ कहते हैं कि रूस की धमकी अपरिपक्वता का प्रतीक है क्योंकि वे अपने लक्ष्यों को वार्ता के जरिए नहीं हासिल कर सके।
पुतिन यूक्रेन पर हमले की धमकी क्यों दे रहे हैं?
यूक्रेन के साथ लगती सरहद पर सैन्य तैनाती बढ़ाने का कारण है कि पुतिन में दंड से मुक्ति की भावना। पुतिन यह जानते हैं कि पश्चिमी राजनीतिक नेता जो रूसी हितों की हिमायत करते हैं और पद छोड़ने के बाद रूसी कंपनियों के साथ जुड़ जाते हैं। पश्चिमी देशों ने 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में हस्तक्षेप और कंपनियों और अमेरिकी सरकार के लिए काम करने वाले लगभग 18,000 लोगों के खिलाफ साइबर हमले को लेकर रूस के खिलाफ ज्यादातर प्रतीकात्मक प्रतिबंध लगाए हैं।
पुतिन ने बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्सांद्र लुकाशेंको का राजधानी शहर मिन्स्क में विरोध प्रदर्शनों पर बड़े पैमाने पर क्रूर कार्रवाई करने का समर्थन किया है। कई मौके पर पुतिन ने देखा है कि कुछ प्रमुख पश्चिमी राजनीतिक नेताओं ने रूस के साथ गठबंधन किया है। ये गठबंधन पश्चिमी देशों को पुतिन के खिलाफ एकीकृत मोर्चा बनाने से रोक सकते हैं। उदाहरण के लिए, जर्मनी के पूर्व चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर ने पद पर रहते हुए यूरोप और रूस के बीच रणनीतिक सहयोग की वकालत की।बाद में वह 2017 में रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट के अध्यक्ष बन गए।