स्कूली बच्चों को फिर से दिया जाएगा इलेक्ट्रिक शॉक, जानें क्यों?

कोर्ट ने दी अनुमति

Update: 2021-07-10 16:35 GMT

अमेरिका के मैसाचुसेट्स में एक स्कूल को अपने छात्रों को फिर से बिजली का झटका देने की इजाजत मिल गई है. वहां की संघीय अदालत ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि विकलांग बच्चों के लिए मैसाचुसेट्स स्कूल अपने छात्रों को बिजली का झटके देना जारी रख सकता है. यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने पहले स्कूल में इस्तेमाल होने वाले बिजली के झटके से इलाज पर प्रतिबंध लगा दिया था. संस्था ने वयस्कों और बच्चों में आक्रामक या आत्म-हानिकारक व्यवहार को ठीक करने के लिए इस तरीके को विवादास्पद बताया था.

एफडीए के प्रतिबंध लगाने के फैसले को स्कूल, माता-पिता और छात्रों के अभिभावकों के एक समूह ने चुनौती दी थी. सुनवाई के दौरान अदालत ने पाया कि उपचार चिकित्सा विधि नियमों के तहत है इसलिए यह एफडीए के नियंत्रण से परे है.

स्कूल ने फैसले के बाद एक बयान में कहा, "उपचार के साथ, यहां के निवासी समृद्ध अनुभवों में भाग लेना जारी रख सकते हैं, अपने परिवारों के साथ यहां यात्राओं का आनंद ले सकते हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सुरक्षा और आत्म-हानिकारक और आक्रामक व्यवहार से भी मुक्त रहते हैं." छात्रों के माता-पिता ने एक बयान में कहा, "हम अपने प्रियजनों को सुरक्षित और जीवित रखने और अंतिम उपाय के इस जीवन रक्षक उपचार तक पहुंच बनाए रखने के लिए लड़ते रहेंगे."

जज रोटेनबर्ग सेंटर अमेरिका का एक मात्र स्कूल है जो अपने छात्रों पर बिजली के झटके के द्वारा उपचार करता है. हालांकि मानसिक विकलांगता अधिकार इंटरनेशनल (डीआरआई) और संयुक्त राष्ट्र सहित विकलांगता अधिकारों के हिमायत करने वालों की तरफ से उसे भारी आलोचना का सामना करना पड़ा है. उनके तर्क है कि यह किसी को "तकलीफ देना" है. डीआरआई के अध्यक्ष लॉरी अहर्न ने गार्जियन को बताया, "बच्चों को प्रताड़ित करने के लिए बिजली के झटके का उपयोग करने के विचार को दुनिया भर में खराब और तकलीफदेह उपचार विधि के रूप में मान्यता दी गई है." संस्थान और उपचार के संस्थापक मैथ्यू इज़राइल ने एबीसी न्यूज से कहा, "असली यातना ऐसे बच्चों के इस तरह का कार्यक्रम और उपचार विधि नहीं होना है.

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