रूसी सेना में अब होगी बुजुर्गों की भर्ती, टेंशन में हैं राष्ट्रपति पुतिन

यूक्रेन के खिलाफ जारी जंग में रूस को भी भारी नुकसान पहुंचा है. यह युद्ध थमने का नाम ही नहीं ले रहा क्योंकि रूस के सामने यूक्रेन घुटने टेकने को तैयार नहीं है और लगातार जवाबी कदम उठा रहा है.

Update: 2022-07-22 00:58 GMT

यूक्रेन के खिलाफ जारी जंग में रूस को भी भारी नुकसान पहुंचा है. यह युद्ध थमने का नाम ही नहीं ले रहा क्योंकि रूस के सामने यूक्रेन घुटने टेकने को तैयार नहीं है और लगातार जवाबी कदम उठा रहा है. अब खबर यह है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपनी सेना में पेंशनर्स की भर्ती करने जा रहे हैं क्योंकि यूक्रेन से जंग लड़ते हुए सेना में जवानों की भारी कमी आ गई है. रूस अब ग्रांडैड आर्मी बनाने में जुट गया है ताकि यूक्रेन में तैनात सिपाहियों को मदद पहुंचाई जा सके और इस जंग को जारी रखा जाए.

सेना में भर्ती की आयु सीमा बढ़ाई

'डेली स्टार' की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन में रूस अब तक 50 हजार सैनिकों को खो चुका है और इसके बाद उसके सामने सैनिकों की कमी का संकट आ गया है. रूस अब देश की सैन्यशक्ति को बढ़ाने की जुगत में लगा हुआ है और यही वजह है कि सेना में भर्ती की आयु सीमा बढ़ाकर 50 साल कर दी गई है. इन बुजुर्ग सैनिकों को फ्री मेडिकल केयर और डेंटल केयर की सुविधा के साथ हर महीने £640 (करीब 60 हजार रुपये) की सैलरी दी जाएगी.

रूस ने यह कदम सर्दियों में जंग जारी रखने के मकसद से उठाया है और इससे साफ है कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध अभी अगले साल तक ऐसे ही चलता रहेगा. नए सैनिकों की भर्ती के लिए रूस के सुदूर उत्तरी प्रायद्वीप कोला पर फोकस किया गया है जहां बेरोजगारी सबसे ज्यादा है. साथ ही भर्ती टीमें इस इलाके का दौरा कर वहां कैंप लगाकर सैनिकों को सेना में शामिल कर रही हैं. इसके लिए बाकायदा फेस्टिव सीजन में मोबाइल भर्ती स्टैंड लगाए गए हैं.

यूक्रेन के खिलाफ जंग से भारी नुकसान

यूक्रेन में तैनात होने से पहले रूसी सैनिकों को सिर्फ 12 सप्ताह की ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन इन सभी रंगरूटों को रूस के उस नुकसान के बारे में नहीं बताया जाता जो यूक्रेन के खिलाफ जारी जंग में हुआ है. ब्रिटेन के सशस्त्र बलों के प्रमुख एडमिरल सर टोनी रेडकिन ने कहा कि खुफिया रिपोर्टों से पता चलता है कि फरवरी में जंग की शुरुआत के बाद से पुतिन ने 50,000 सैनिकों को खो दिया है और 1,700 से ज्यादा रूसी टैंक तबाह हो गए हैं. इसके अलावा 20 हजार सैनिकों को गंभीर चोटों का सामना करना पड़ा है और 3 हजार से ज्यादा अब भी लापता हैं.

पूर्व ब्रिटिश सेना अधिकारी डैन डिंगर ने कहा कि रूसी सेना काफी बड़ी थी लेकिन वहां ट्रेंड सिपाहियों की कमी फिर भी हमेशा रहती है. वह अब तक वारसॉ पैक्ट की रणनीति पर चल रहे थे और इसी के मुताबिक दुश्मनों से लड़ने के लिए वही तरीका अपनाते थे. उन्होंने बताया कि अब रूसी सेना में सैनिकों की कमी हो रही है और यूक्रेन में लंबे वक्त से तैनात सिपाही थक चुके हैं, यही वजह है कि पुतिन ने ग्रांडैड आर्मी तैयार करने की योजना बनाई है.


Tags:    

Similar News

-->