कोरोना डेल्टा वैरिएंट के चलते ईस्ट एशिया और प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक विकास हो रहा धीमा: विश्व बैंक
टीकों का क्षेत्रीय उत्पादन बढ़ाना और स्थानीय स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करके कोरोना पर नियंत्रण किया जा सकता है।
कोरोना के डेल्टा वैरिएंट का पूरी दुनिया पर प्रभाव पड़ा है। अब विश्व बैंक का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट के चलते ईस्ट एशिया (East Asia) और प्रशांत क्षेत्र (Pacific) में आर्थिक विकास को धीमा होता जा रहा है। इसके अलावा यहां पर स्थित कई क्षेत्रों में लोगों को लगातार आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे असमानता भी पैदा हो रही है।
विश्व बैंक के अनुसार, ईस्ट एशिया और प्रशांत क्षेत्र में साल 2021 में कोरोना डेल्टा वैरिएंट के बढ़ते कहर के चलते आर्थिक स्थिति बिगड़ना शुरू हो गई थी। विश्व बैंक ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था में 8.5 फीसद की वृद्धि का अनुमान है, बाकी क्षेत्र में 2.5 फीसद की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। जो अप्रैल 2021 में पूर्वानुमान से लगभग 2 प्रतिशत कम है।
विश्व बैंक के उपाध्यक्ष मैनुएला फेरो ने बताया कि कोरोना वैरिएंट के चलते पूर्वी एशिया और प्रशांत को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही बताया कि 2020 में इस क्षेत्र में कोरोना था, जबकि दुनिया के अन्य क्षेत्र भी कोरोना से जंग लड़ रहा था, जिससे कई जगह कोरोना के मामलों में कमी दर्ज हुई है।
रिपोर्ट का अनुमान है कि इंडोनेशिया और फिलीपींस सहित इस क्षेत्र के अधिकांश देश में 2022 तक अपनी आबादी के 60 फीसद से अधिक लोगों का कोरोना टीकाकरण हो सकता है। हालांकि, इससे कोरोनो वायरस संक्रमण समाप्त नहीं होगा। यहां पर मृत्यु दर काफी कम हो सकता है, जिससे आर्थिक स्थिति को फिर से विकसीत होने में सहयोग मिलेगा। विश्व बैंक ने कहा कि कोरोना के लगातार बढ़ने से कई देशों में असमानता बढ़ने की संभावना है।
विश्व बैंक पूर्वी एशिया और प्रशांत के मुख्य अर्थशास्त्री आदित्य मट्टू ने कहा कि कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए त्वरित टीकाकरण और कोरोना परीक्षण, 2022 तक जंग लड़ रहे देशों में आर्थिक गतिविधियों को पुनर्जीवित कर सकता है, और उनकी विकास दर को दोगुना कर सकता है। साथ ही कहा कि इसके लिए काफी समय लग सकता है।
विश्व बैंक ने आगे कहा कि इन क्षेत्र को कोरोनो वायरस में वृद्धि से निपटने के लिए गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता होगी। टीकाकरण, परीक्षण को बढ़ाना, टीकों का क्षेत्रीय उत्पादन बढ़ाना और स्थानीय स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करके कोरोना पर नियंत्रण किया जा सकता है।