ड्रैगन की धमकी ताइवान को लेकर बेअसर, लातविया, एस्टोनिया चीन सहयोग समूह से हटे

ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका के राजनैतिक रुख पर चलने पर गंभीर परिणामों की धमकी के बावजूद लातविया और एस्टोनिया ने गुरुवार को चीन के एक सहयोग समूह से अपना नाम वापस ले लिया.

Update: 2022-08-12 00:57 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।

ड्रैगन की धमकी ताइवान को लेकर बेअसर, लातविया, एस्टोनिया चीन सहयोग समूह से हटे
 ताइवान के मुद्दे पर अमेरिका के राजनैतिक रुख पर चलने पर गंभीर परिणामों की धमकी के बावजूद लातविया और एस्टोनिया ने गुरुवार को चीन के एक सहयोग समूह से अपना नाम वापस ले लिया. चीन और एक दर्जन से अधिक मध्य और पूर्वी यूरोपीय देशों के सहयोग समूह से बाल्टिक पड़ोसी लिथुआनिया ने पिछले साल अपना नाम वापस ले लिया था. लोकतांत्रिक रूप से शासित ताइवान पर सैन्य दबाव बढ़ाने पर चीन की पश्चिमी देशों से लगातार हो रही आलोचना के बीच यह कदम उठाया गया है. ताइवान को चीन अपना क्षेत्र होने का दावा करता है. बीजिंग ने यूक्रेन पर हमले के दौरान रूस का समर्थन करके उसके साथ संबंधों को मजबूत भी किया है.
न्यूज एजेंसी रायटर्स की एक खबर के मुताबिक पिछले साल के अंत में ताइवान को अपने यहां दूतावास खोलने की अनुमति देने के बाद लिथुआनिया और चीन के बीच संबंध खराब हो गए थे. जबकि लातविया के विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन सहयोग समूह में देश की भागीदारी को जारी रखना वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय परिवेश में हमारे रणनीतिक उद्देश्यों के अनुरूप नहीं है. गौरतलब है कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने अन्य देशों को ताइवान पर अमेरिका के राजनीतिक रुख का पालन नहीं करने की चेतावनी दी थी. चीनी विदेश मंत्री ने धमकी दी कि ऐसा करने के नतीजे गंभीर हो सकते हैं.
गुरुवार को प्रकाशित बयानों में लातविया और एस्टोनिया दोनों ने कहा कि वे नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए चीन के साथ रचनात्मक और व्यावहारिक संबंधों की दिशा में काम करना जारी रखेंगे. एस्टोनिया के विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर और कोई टिप्पणी नहीं की. जबकि रीगा, लातविया और तेलिन में चीनी दूतावासों ने इस घटना पर टिप्पणी के अनुरोधों का तुरंत जवाब नहीं दिया.
बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, ग्रीस, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया उन देशों में से हैं, जो चीन के सहयोग संगठन में बने हुए हैं. बहरहाल समूह छोड़ने के लिए देश की संसद के भीतर उठी आवाज के बाद चेक गणराज्य के विदेश मंत्रालय ने मई में कहा था कि बड़े पैमाने चीनी निवेश और पारस्परिक रूप से लाभप्रद व्यापार का वादा पूरा नहीं किया जा रहा था.
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