वैज्ञानिकों पर शक! 'वुहान लैब लीक थ्योरी' को खारिज करने वाले 26 का चीनी Scientists से संबंध

द लैंसेट मेडिकल जर्नल में पत्र लिखकर 27 वैज्ञानिकों ने इस संभावना को खारिज कर दिया था कि कोविड-19 वुहान की लैब से निकला है

Update: 2021-09-12 15:18 GMT

पेइचिंग: द लैंसेट मेडिकल जर्नल में पत्र लिखकर 27 वैज्ञानिकों ने इस संभावना को खारिज कर दिया था कि कोविड-19 वुहान की लैब से निकला है। इस दावे पर अब संदेह के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि एक नई जांच में खुलासा हुआ है कि इनमें से 26 वैज्ञानिकों का संबंध चीनी वैज्ञानिकों, उनके सहयोगियों और संरक्षकों से हैं। पिछले साल 7 मार्च को मैग्जीन ने एक पत्र प्रकाशित किया था। इसमें 27 वैज्ञानिकों ने कहा कि वे कोरोना वायरस की उत्पत्ति के बारे में 'साजिश के दावों' की कड़ी निंदा करते हैं।

26 वैज्ञानिकों का चीन से संबंध
इस पत्र ने उस बहस पर भी विराम लगा दिया था जिसमें कोविड-19 के मानव निर्मित या वुहान लैब से लीक होने का दावा किया जा रहा था। द डेली टेलीग्राफ अखबार की जांच में पाया गया कि 27 में से 26 वैज्ञानिकों का वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से कोई संबंध था, जहां से वायरस के लीक होने का संदेह था। यह जांच पत्र की निष्पक्षता पर सवाल खड़े करती है। अमेरिका की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वायरस चीन की रिसर्च फसिलटी से लीक हुआ था।
अमेरिकी रिपोर्ट ने लगाए आरोप
इसमें कहा गया था कि वुहान के इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी के वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस को इस तरह से मॉडिफाई किया था कि वह इंसानों को संक्रमित कर सके। यह भी आरोप लगाया गया था कि इस बदलाव को छिपाने की कोशिश की गई। यह रिपोर्ट रिपब्लिकन पार्टी के रीप्रेंजेटिटव और हाउस फॉरन अफेयर्स कमिटी के सदस्य माइक मैककॉल ने पेश की थी। इसके मुताबिक लैब में 12 सितंबर, 2019 के पहले ही वायरस लीक होने के सबूत हैं।
अमेरिकी सरकार से भी मिला फंड
रिपोर्ट में बताया गया कि वायरस फैलने के पीछे वुहान वायरॉलजी इंस्टिट्यूट का हाथ था जिसमें अमेरिकी एक्सपर्ट्स भी शामिल थे। इसे चीन के साथ अमेरिका की सरकार से भी फंड मिला था। रिपोर्ट में अपील की गई थी कि इस घातक वायरस की उत्पत्ति की जांच की जाए जिसने दुनियाभर में 44 लाख लोगों की जान ले ली है। इसके मुताबिक वायरस के वुहान मार्केट से फैलने की थिअरी को हटा देने का वक्त आ गया है।
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