भारत से दूरी और चीन के प्यार ने श्रीलंका को कर दिया बर्बाद, 5 बिंदुओं में जानिए आर्थिक संकट के कारण

इस महामारी ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ को तोड़ दिया। चाय, रबर, मसालों और कपड़ों के निर्यात को भारी नुकसान पहुंचा।

Update: 2022-07-10 06:29 GMT

आजादी के बाद श्रीलंका अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। देश की आर्थिक व्‍यवस्‍था पूरी तरह से चौपट हो गई है। जनता की बुनियादी जरूरतें पूरी कर पाने में सरकार असफल हो गई है। पेट्रोल-डीजल से लेकर दूध और दूसरी खाद्य सामग्रियां इतनी महंगी हो गई हैं कि लोग खरीद नहीं पा रहे हैं। कभी पर्यटन के लिए दुनिया में मशहूर यह आइलैंड आर्थिक तौर पर तबाह हो चुका है। हालात इतने बुरे हैं कि आजादी के बाद एक बार फिर श्रीलंका गृह युद्ध के मुहाने पर खड़ा हो गया है। ऐसे में यह जानना उपयोगी हो गया है कि आखिर श्रीलंका के इस हालात के लिए कौन जिम्‍मेदार है। इसके लिए सत्‍ता पक्ष कितना दोषी है। श्रीलंका के आर्थिक संकट के पांच बड़े कारण क्‍या हैं। इन सब मामलों में विशेषज्ञों की क्‍या राय है।


राष्ट्रपति के सरकारी आवास में घुसकर प्रदर्शन

देश के विभिन्‍न ह‍िस्‍सों में उग्र प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शनकारी (Sri Lanka protests) राष्ट्रपति के सरकारी आवास में घुसकर प्रदर्शन कर रहे हैं। श्रीलंका की जनता इसके लिए राजशाही को जिम्‍मेदार ठहरा रही है। इस बीच श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (President Gotabaya Rajapakse) ने शनिवार को इस्तीफे की घोषणा कर दी है। वह 13 जुलाई को इस्तीफा देंगे। हफ्तों तक गुस्सा उबलने के बाद आखिरकार फट पड़ा, विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए और सरकार की नींव हिला दी। दो करोड़ बीस लाख की आबादी वाला श्रीलंका वित्तीय और राजनीतिक संकट (Sri Lanka financial and political crisis) से जूझ रहा है। साल 1948 में स्वतंत्रता मिलने के बाद से इस वक्‍त सबसे खराब आर्थिक स्थिति का सामना कर रहे इस देश में महंगाई के कारण बुनियादी चीजों की कीमते आसमान छू रही हैं।



1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि श्रीलंका के इस हालात (Sri Lanka Crisis) के लिए कहीं न कहीं चीन का निकट होना भी बड़ा कारण है। उन्‍होंने कहा कि इस बात को नकारा नहीं जा सकता है। चीन की नजदीकी श्रीलंका पर भारी पड़ी है। चीन की रणनीति ऐसी है कि ज‍िस देश में उसने अपने निवेश बढ़ाए हैं, वहां राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता तेजी से बढ़ी है। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान और श्रीलंका इसके ज्‍वलंत उदाहरण है। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि हमारा पड़ोसी मुल्‍क पाकिस्‍तान भी उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। प्रो पंत ने कहा कि श्रीलंका ने चीन के साथ जाने की रणनीतिक भूल की है।


2- प्रो पंत का कहना है कि श्रीलंका में यह संकट एक दिन का नतीजा नहीं है। यह कई वर्षों से पनप रहा था। इसकी एक वजह केंद्रीय सरकार का गलत प्रबंधन भी है। पिछले एक दशक के दौरान श्रीलंकाई सरकारों ने सार्वजनिक सेवाओं के लिए विदेशों से बड़ी रकम कर्ज के रूप में ली। उन्‍होंने कहा कि बढ़ते कर्ज के अलावा कई अन्‍य कारणों ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर चोट की। उन्‍होंने कहा कि इसके लिए प्राकृतिक आपदाओं और मानव निर्मित तबाही भी शामिल है। वर्ष 2018 में श्रीलंका में राजनीतिक संकट से स्थितियां और बदतर हो गईं। श्रीलंका में उपजे संवैधानिक संकट के चलते देश की अर्थव्‍यवस्‍था को उबरने का मौका नहीं मिला।

3- प्रो पंत ने कहा कि श्रीलंका की इस हालत के लिए पर्यटन उद्योग भी बड़ा कारण रहा है। दरअसल, अप्रैल, 2019 में कोलंबो के विभिन्न गिरिजाघरों में ईस्टर बम विस्फोटों की घटना में 253 लोग हताहत हुए थे। इस घटना के बाद देश में पर्यटकों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है। विदेशी पर्यटक साल 2019 के बाद से ही श्रीलंका में जाने से कतराने लगे हैं। इसका असर उसके विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ा। बता दें कि श्रीलंका की सकल घरेलू आय में 10 फीसदी हिस्सा पर्यटन उद्योग का रहा है। ऐसे में श्रीलंका का पर्यटन उद्योग पूरी तरह से चौपट हो गया।

4- प्रो पंत ने कहा कि वर्ष 2019 में श्रीलंका में सत्‍ता में परिवर्तन हुआ। गोटाबाया राजपक्षे की सरकार ने अपने चुनावी अभियानों में निम्‍न कर दरों और किसानों के लिए व्‍यापक रियायतों का वादा किया था। इस अतार्किक और अविवेकपूर्ण वादों को पूरा करने में समस्‍या को और विकराल कर दिया। वर्ष 2020 में वैश्विक कोरोना महामारी ने इस समस्‍या को और बदतर कर दिया। इस महामारी ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ को तोड़ दिया। चाय, रबर, मसालों और कपड़ों के निर्यात को भारी नुकसान पहुंचा।


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