सीपीईसी अथारिटी को पाकिस्तान में भंग करने का फैसला, चीन ने कहा- पाक और श्रीलंका की परियोजनाओं पर संकट नहीं

पाकिस्तान सरकार ने विवादित चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कारिडोर अथारिटी को भंग करने का फैसला किया है।

Update: 2022-08-19 00:57 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान सरकार ने विवादित चीन-पाकिस्तान इकोनोमिक कारिडोर (सीपीईसी) अथारिटी को भंग करने का फैसला किया है। चीन के निवेश से चल रही यह परियोजना 60 अरब डालर की है। इसे पाकिस्तान का योजना एवं विकास मंत्रालय संचालित करता है। पाकिस्तान सरकार के इस फैसले के बाद चीन सरकार ने सीपीईसी परियोजना पर कोई संकट होने से इन्कार किया है।

सीपीईसी को लेकर गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके में जारी विरोध प्रदर्शनों और भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद पाकिस्तान सरकार ने अथारिटी को भंग करने का फैसला किया है। इस बीच चीन ने पाकिस्तान और श्रीलंका में सीपीईसी व बीआरआइ (बेल्ट एवं रोड अभियान) के तहत चल रही परियोजनाओं पर किसी तरह का खतरा न होने की बात कही है। चीन ने यह सफाई कई संस्थाओं की रिपोर्टो के बाद दी है जिनमें कहा गया है कि परियोजनाओं के नाम पर छोटे देशों को कर्ज के जाल फंसाया जाता है।
पाकिस्तान और श्रीलंका इस समय विदेशी मुद्रा का भीषण संकट झेल रहे हैं। इसके चलते उनके लिए तेल, गैस और अन्य जरूरी वस्तुओं का आयात मुश्किल हो रहा है। ऐसे में चीन को विदेशी मुद्रा में कर्ज चुकाना दोनों देशों के लिए असंभव हो गया है। दोनों ही देश जरूरी वस्तुओं के आयात के लिए चीन से और कर्ज लेने की प्रक्रिया में हैं। दोनों ही देश अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज लेने की प्रक्रिया भी चला रहे हैं।
पाकिस्‍तान फिलहाल अपनी देनदारी और जरूरी खर्चों और विकास के नाम पर अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष से 7 अरब डालर का कर्ज पाने की कोशिश कर रहा है। इसको लेकर 29 अगस्‍त को एक अहम बैठक होने वाली है। इसको लेकर पाकिस्‍तान ने आईएमएफ को एक पत्र लिखा है, जिसमें ऐसी बातों का उल्‍लेख किया गया है कि जिसका सीधा प्रभाव देश की गरीब जनता पर पड़ेगा। आने वाले समय में पाकिस्‍तान में महंगाई और बढ़ सकती है। इसकी वजह है कि सरकार पेट्रोल के दाम के अलावा कर का बोझ भी आम आदमी पर बढ़ा देगी। इतना ही नहीं गरीबों के लिए स्‍कीम को भी बंद कर दिया जाएगा।
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