तालिबान का खतरनाक मंसूबा! चीन और ताजिकिस्तान की सीमा पर तैनात किए 'आत्मघाती हमलावर' की फौज

अफगानिस्तान पर 15 अगस्त को कब्जा करने वाले तालिबान ने उत्तर-पूर्वी प्रांत बडाखसान में आत्मघाती हमलावरों ‘लश्कर-ए-मंसूरी’ की एक विशेष बटालियन बनाई है.

Update: 2021-10-03 02:42 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान पर 15 अगस्त को कब्जा करने वाले तालिबान ने उत्तर-पूर्वी प्रांत बडाखसान में आत्मघाती हमलावरों 'लश्कर-ए-मंसूरी' की एक विशेष बटालियन बनाई है. खास बात यह है कि जिस प्रांत में तालिबान ने यह बटालियन तैयार की है, उसकी सीमा ताजिकिस्तान और चीन से लगती है. खामा प्रेस ने बताया कि विशेष बटालियन को बनाने के बारे में मीडिया से बात करते हुए, प्रांत के डिप्टी गवर्नर मुल्ला निसार अहमद अहमदी ने कहा कि बटालियन को अफगानिस्तान की सीमाओं पर तैनात किया जाएगा.

अहमदी ने कहा, "बटालियन का नाम लश्कर-ए-मंसूरी 'मंसूर सेना' है और इसे देश की सीमाओं पर तैनात किया जाएगा. इस सेना का काम पिछली अफगान सरकार के सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर आत्मघाती हमले करना होगा."
अहमदी ने कहा, इस बटालियन के बिना अमेरिका की हार कभी संभव नहीं होती. ये बहादुर लोग विस्फोटक जैकेट पहनेंगे और अफगानिस्तान में अमेरिकी ठिकानों को विस्फोट कर देंगे. ये सचमुच निडर लोग हैं जो खुद को अल्लाह की मंजूरी के लिए समर्पित करते हैं."
बद्री 313 प्रकाशन ने कहा कि तालिबान की एक और बटालियन 'बद्री 313' को हथियारों से लैस सबसे सुसज्जित बटालियन में से एक माना जाता है और इसमें कुछ बेहतरीन प्रशिक्षित लड़ाके भी हैं. यह एक अत्यधिक आधुनिक सैन्य समूह है जो इस वक्त काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तैनात है.
गौरतलब है कि देश से अमेरिका और नाटो सैनिकों की वापसी के बीच अफगानिस्तान सरकार की सेना के खिलाफ आक्रामक और तेजी से आगे बढ़ने के बाद तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद तालिबान ने 6 सितंबर को पंजशीर के अंतिम होल्डआउट प्रांत में विपक्षी ताकतों पर जीत का दावा किया. काबुल पर कब्जा करने के तीन सप्ताह बाद इस विद्रोही समूह ने पूरे अफगानिस्तान पर अपना कब्जा कर लिया था.


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