चीन में बढ़ रहा सीपीसी की आंतरिक लड़ाई, शी जिनपिंग ने दबाए असहमति के सुर

पिछले दिनों चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने अपनी उपलब्धियों व ऐतिहासिक अनुभव पर एक प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सत्ता पर पकड़ और मजबूत बना दी।

Update: 2021-11-16 02:48 GMT

पिछले दिनों चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) ने अपनी उपलब्धियों व ऐतिहासिक अनुभव पर एक प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सत्ता पर पकड़ और मजबूत बना दी। इस तीसरे प्रस्ताव में सबसे अहम यह दिखाना है कि शी ने अब छठे पूर्ण सत्र में सभी असहमतिपूर्ण आवाजों को दबा दिया है। लेकिन सच्चाई यह है कि पार्टी की अंदरूनी लड़ाई बढ़ने के चलते शी ने समझौता किया है।

द हांगकांग पोस्ट ने एक रिपोर्ट में बताया है कि सीपीसी के सामने आने वाले संकट को उच्च स्तर पर पैदा हो रही विरोध की आवाजों को दबाया नहीं जा सकता है। नेशनल इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर ली यूटन के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि शी जिनपिंग अगले साल दोबारा राष्ट्रपति चुने जाते हैं तो भी राजनीतिक संघर्ष खत्म नहीं होगा, बल्कि यह और भी स्याह रूप में उभरेगा
ली ने एपोट टाइम्स को बताया कि सीपीसी का पूरा दस्तावेज सिर्फ एक आदर्श लेख है और इसमें कुछ भी नया नहीं है। सीपीसी से परिचित अन्य विशेषज्ञों ने शंघाई गैंग, तुआन गुट और कुछ अन्य पार्टियों में शी के खिलाफ बढ़ते अंतरविरोध की तरफ इशारा किया है। जापान के सैकेई शिंबुन अखबार के ताइपे संस्करण के निदेशक ने कहा कि इस तरह के दस्तावेज विभिन्न गुटों के समझौते का नतीजा हैं। इसलिए दस्तावेज अर्थहीन है।
हिंद महासागर में चीन की बढ़ती ताकत ठीक नहीं : बांग्लादेश
हिंद महासागर में चीन की बढ़ रही ताकत और बदल रहे शक्ति संतुलन पर बांग्लादेश ने सवाल उठाते हुए इसे गलत बताया है। बांग्लादेश ने हिंद महासागर में शांतिपूर्ण, समावेशी और मुक्त आवागमन की पैरवी की है। बांग्लादेश की ओर से यह बयान 17 नवंबर को हिंद महासागर के किनारे के देशों की एसोसिएशन (आइओआरए) की मंत्री स्तर की बैठक से पहले आया है। बांग्लादेश के विदेश मंत्री डॉ. एके अब्दुल मोमेन ने ढाका ट्रिब्यून से कहा, हिंद महासागर को लेकर बहुत से मसले हैं। इससे बहुत से लोग जुड़े हैं। इसलिए इस पर किसी एक देश का प्रभाव नहीं बढ़ना चाहिए।

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