चीन को लेकर चिंता, वैक्सीन पर जोर, जानिए ऑस्ट्रेलिया में हो रही क्वॉड की बैठक में क्या-क्या हुआ

ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका और भारत के विदेश मंत्रियों ने चौथी क्वॉड फॉरेन मिनिस्टर्स की बैठक में हिस्सा लिया.

Update: 2022-02-11 06:32 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ऑस्ट्रेलिया, जापान, अमेरिका और भारत के विदेश मंत्रियों ने चौथी क्वॉड फॉरेन मिनिस्टर्स की बैठक में हिस्सा लिया. इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, फरवरी 2021 में हमारी पिछली बातचीत के बाद से, भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक वैश्विक परिदृश्य ज्यादा जटिल हो गया है. प्रमुख लोकतंत्रों के रूप में, हम मुक्त नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने की अपनी साझा सोच पर चलते हैं.

उन्होंने कहा, महामारी हमें लगातार प्रभावित कर रही है. हमने वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा, क्वॉड वैक्सीन पहल और वैक्सीन वितरण के लिए सामूहिक प्रयास किए हैं. इंडो-पैसिफिक के देशों के लिए इन चुनौतियों का सामना करने के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण है.
ऑस्ट्रेलिया में हो रही इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, मुझे लगता है कि क्वॉड ने इतना अच्छा काम किया है, इसका एक कारण यह है कि हमारे द्विपक्षीय संबंध बहुत मजबूत रहे हैं. मुझे उम्मीद है कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों में बेहतरी क्वॉड में भी होगी.
चीन की बढ़ती आक्रामकता पर चिंता जताते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि क्वॉड ग्रुपिंग को एक साथ काम करने और लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए साथ काम करने की आजादी है.
ब्लिंकन ने ये टिप्पणी ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री स्कॉट मॉरिसन, ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिस पायने, जापानी विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी और विदेश मंत्री एस जयशंकर की मौजूदगी में कही. ब्लिंकन ने कहा, "यह उन देशों का एक समूह है, जिनके खिलाफ हम नहीं हैं, बल्कि हम इसके लिए हैं. यह एक स्वतंत्र और खुला इंडो-पैसिफिक है."
ब्लिंकन ने कहा, 'हम हाल के वर्षों में चिंताओं को साझा करते हैं. चीन इस क्षेत्र में अधिक दमनकारी व आक्रामक तरीके से काम कर रहा है. लेकिन, जैसा कि मैंने कहा, जो हमें एक साथ लाता है वह एक सकारात्मक दृष्टिकोण है जो हमें जोड़ता है.
वहीं ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मारिस पायने ने कहा, एक ग्रुप के रूप में क्वॉड ने इस क्षेत्र में हमारी प्रतिबद्धता पर 500 मिलियन से अधिक टीके बांटे हैं. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ये साझेदारियां बहुत-बहुत जरूरी हैं.
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