अध्ययन में आया सामने, व्यवहार में बदलाव का वाहक बन सकती हैं कामिक्स

इनकी मदद से मरीजों के प्रति स्वास्थ्य पेशेवरों के व्यवहार को बेहतर करने और संवेदनशीलता बढ़ाने की बात भी सामने आई है।

Update: 2022-02-10 10:26 GMT

बचपन में कामिक्स पढ़ने का शौक अमूमन सभी को होता है। कई बार कुछ आकर्षक पात्रों से सजी कामिक्स उम्र बढ़ने के बाद भी उतनी ही रुचिकर लगती हैं। 1920 के आसपास दुनिया में कामिक्स आने की शुरुआत हुई थी। 1960 आते-आते इनमें सुपरहीरो का दौर शुरू हो गया। मौजूदा दौर में कामिक्स का इस्तेमाल बच्चों-बड़ों को जागरूक करने में भी होने लगा है। ब्रिटेन की क्वींस यूनिवर्सिटी बेलफास्ट की लेक्चरर एमा बेरी ने तरह-तरह के सुपरहीरो और रंग-बिरंगे पात्रों से सजी कामिक्स को ज्ञान का माध्यम बनाने को लेकर विश्लेषण किया है।

प्रकृति से जुड़ने का माध्यम
ग्राफिक मेडिसिन की तरह इको-कामिक्स की अवधारणा भी सामने आ रही है। इनके माध्यम से लोगों को पर्यावरण से संबंधित मुद्दों को लेकर जागरूक एवं संवेदनशील किया जाता है। पूर्वी अफ्रीका में प्राथमिक स्कूलों में इको-कामिक के प्रयोग से उत्साहजनक नतीजे मिले हैं। इनमें आकर्षक पात्रों और सवाल-जवाब के माध्यम से बच्चों में प्रकृति के प्रति समझ बढ़ाने में सफलता मिली। शोधकर्ता विभिन्न मसलों पर जागरूकता के लिए इको-कामिक्स के प्रयोग की वकालत कर रहे हैं।
सेहत को लेकर हो सकते हैं जागरूक
शोध बताते हैं कि इलाज और जटिल मेडिकल प्रक्रियाओं के बारे में बताने वाली कामिक्स से लोगों को जागरूक करने में मदद मिलती है। ऐसी कामिक्स को ग्राफिक मेडिसिन कहा गया है। ये ग्राफिक मेडिसिन लोगों को नियमित जांच कराने और गंभीर बीमारियों से बचने के लिए जरूरी कदमों को लेकर सतर्क करती हैं। महामारी के दौरान एक अध्ययन में पाया गया कि लोग कामिक्स के पात्रों से जल्दी जुड़ाव अनुभव करते हैं। उन पात्रों के माध्यम से लोगों को महामारी की गंभीरता को समझने में मदद मिली। इनकी मदद से मरीजों के प्रति स्वास्थ्य पेशेवरों के व्यवहार को बेहतर करने और संवेदनशीलता बढ़ाने की बात भी सामने आई है।
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