रिपोर्ट में दावा: जलवायु परिवर्तन के खतरे निपटने में लगेंगे डेढ़ सौ साल, उत्सर्जन करना होगा आधा
2021 में 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक के रिकॉर्ड-तोड़ तापमान से सबसे अधिक प्रभावित हुए थे।
एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को अगले दस सालों में आधे से भी कम करना होगा। यदि दुनिया के सभी देश यह लक्ष्य तय नहीं करते हैं तो मौजूदा रफ्तार से दुनिया को कार्बन मुक्त होने में 150 साल लग जाएंगे। लांसेट काउंटडाउन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, बेरोकटोक उत्सर्जन जारी रहने और कोरोना के बाद निराशाजनक ग्रीन रिकवरी ने भविष्य को लेकर असमंजस पैदा कर दिया है। इसलिए जलवायु मोर्चे पर आने वाला वक्त जोर आजमाइश भरा रहेगा।
रिपोर्ट के अनुसार यह तो तय है कि दुनिया की तमाम सरकारें पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं और लक्ष्यों को पूरा करती नहीं दिखतीं है। मौजूदा साक्ष्य स्पष्ट करते हैं कि बदलती जलवायु के स्वास्थ्य पर विनाशकारी प्रभाव और उससे जुड़ी मौतों के सिलसिले को रोकने के लिए ग्लोबल वार्मिंग को डेढ़ डिग्री तक सीमित करना होगा। लेकिन इस बात के भी साक्ष्य मौजूद हैं कि इस सदी के अंत तक दुनिया में तापमान पूर्व औद्योगिक स्तरों से 2.7-3.1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाने के रास्ते पर है। इसलिए मौजूदा लक्ष्यों को नए सिरे से निर्धारित करने की जरूरत है।
रिपोर्ट बताती है कि 2020 में रिकार्ड तापमान बढ़ोतरी के फलस्वरूप 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के 3.1 अरब अधिक व्यक्ति-दिन और छोटे बच्चों के 62.6 करोड़ अधिक व्यक्ति-दिवस प्रभावित हुए। यानी इतने दिन उन्होंने ज्यादा गर्मी का सामना किया। 2021 में अब तक 65 वर्ष से अधिक या एक वर्ष से कम उम्र के लोग, सामाजिक असमानता का सामना करने वाले लोगों के साथ, संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा के प्रशांत उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में जून, 2021 में 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक के रिकॉर्ड-तोड़ तापमान से सबसे अधिक प्रभावित हुए थे।