चीनी वैक्सीन बुजुर्गों पर कम असरदार है सिनोफार्म की डोज, दर्जनों देशों में हुआ है इस टीके से वैक्सीनेशन

चीन (China) की सिनोफार्म वैक्सीन (Sinopharm vaccine) बुजुर्गों पर कम असरदार पाई गई है

Update: 2021-07-23 14:27 GMT

चीन (China) की सिनोफार्म वैक्सीन (Sinopharm vaccine) बुजुर्गों पर कम असरदार पाई गई है. एक स्टडी के जरिए ये बात सामने निकलकर आई है. इस चीनी वैक्सीन (Chinese Vaccine) को दर्जनों देशों में बुजुर्गों की बड़ी आबादी को दिया गया है. ऐसे में स्टडी के नतीजों के बाद सिनोफार्म पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है. हंगरी (Hungry) में सिनोफार्म वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने वाले 450 लोगों के खून के नमूनों पर एक सर्वे किया गया, जिसके बाद सिनोफार्म की प्रभावकारिता पर सवाल उठा है.

सर्वे में सामने आया कि 50 साल से कम उम्र के 90 फीसदी लोगों के शरीर में कोरोना से लड़ने वाली एंटीबॉडी बनी, मगर उम्र के बढ़ने के साथ एंटीबॉडी का स्तर गिरने लगा. वहीं, 80 साल से अधिक उम्र के लोगों में एंटीबॉडी का स्तर शून्य रहा. हंगरी के दो शोधकर्ताओं द्वारा की गई स्टडी को इस सप्ताह ऑनलाइन पोस्ट किया गया. लेकिन अभी तक अन्य वैज्ञानिकों द्वारा इसकी समीक्षा नहीं की गई है. तीन बाहरी विशेषज्ञों ने कहा कि उन्हें अध्ययन की कार्यप्रणाली से कोई समस्या नहीं है. सिनोफार्म को बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स द्वारा तैयार किया गया है.
वैक्सीन की प्रभावकारिता के लिए जरूरी है एंटीबॉडी का स्तर
हांगकांग यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट जिन डोंग-यान ने कहा कि ये बहुत चिंता वाली बात है कि जो लोग कोरोना के उच्च जोखिम वाले हैं, उनके शरीर में एंटीबॉडी नहीं बनी है. एंटीबॉडी का स्तर इस बात का सबूत नहीं है कि कोई व्यक्ति कोविड-19 से कितना सुरक्षित है. लेकिन इस बात का सबूत जरूर बढ़ रहा है इसके जरिए ही वैक्सीन की प्रभावकारिता को तय किया जा सकता है. एक विशेषज्ञ ने आगाह किया कि परीक्षण किट का चुनाव माप की सटीकता को सीमित कर सकता है.
चीन ने स्टडी पर टिप्पणी करने से इनकार किया
पेकिंग यूनियन मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर और एक इम्यूनोलॉजी विशेषज्ञ वांग चेंगुआंग ने कहा कि स्टडी के नतीजे काफी मूल्य वाले हैं और बुजुर्गों में सिनोफार्म वैक्सीन के असरदार होने का पहला सार्वजनिक प्रयास है. दूसरी ओर, चीन की 'नेशनल हेल्थ कमीशन' ने इस स्टडी पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. इसने कहा है कि ये सिर्फ सरकार और प्रमुख रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा की गई स्टडी पर ही टिप्पणी करेगा. हालांकि, ये पहला मौका नहीं है जब चीनी वैक्सीन सवालों के घेरे में आई है. इससे पहले कई मुल्कों में चीनी वैक्सीन से टीकाकरण के बाद कोरोना केस बढ़ने पर सवाल उठा था.


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