चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इन दिनों आई सुर्खियों में, 600 दिनों में क्यों नहीं की कोई विदेश यात्रा
जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल समेत 60 राष्ट्राध्यक्षों से टेलीफोन पर वार्ता कर चुके हैं।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इन दिनों सुर्खियों में हैं। इस बार उनकी चर्चा ताइवान व हांगकांग को लेकर नहीं है। दक्षिण चीन सागर या प्रशांत सागर में चीन की सक्रियता को लेकर भी नहीं है, बल्कि चीनी राष्ट्रपति अपनी सेहत को लेकर सुर्खियों में है। उनकी सेहत को लेकर कई तरह की अफवाहें सोशल मीडिया में चल रही है। मीडिया रिपोर्ट में भी कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसके पीछे एक बड़ी वजह यह है कि शी जिनपिंग ने 600 दिनों में विदेश का कोई दौरा नहीं किए हैं। इसलिए अटकलों का बाजार गर्म है। विशेषज्ञ तो इसके कुछ और ही कारण मानते हैं।
600 दिनों में कोई विदेशी दौरा नहीं किए शी
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय परिदृष्य में सक्रिय रहने वाले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले 600 दिनों से एक भी विदेश का दौरा नहीं किए हैं। जिनपिंग इसके पूर्व 18 जनवरी, 2020 को मयांमार के दौरे पर गए थे। इसके बाद से वह किसी भी देश के दौरे पर नहीं गए। यह कहा जा रहा है कि उनकी सेहत ठीक नहीं होने के कारण वह विदेश यात्रा पर नहीं जा रहे हैं।
कम्युनिस्ट शासन में कोई फर्क नहीं पड़ता
प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है। वहां कोई चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार नहीं है। कम्युनिस्ट शासन में राष्ट्रपति जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होता है। प्रो. पंत ने कहा कि कम्युनिस्ट शासन में कोई विपक्ष नहीं होता है, जो सरकार से यह सवाल-जवाब करे।
उन्होंने कहा कि इसके उलट लोकतांत्रिक व्यवस्था में राष्ट्राध्यक्ष या शासनाध्यक्ष सीधे जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं। इस व्यवस्था में विपक्ष सरकार से सीधे प्रश्न करती है। देश की विधायिका के प्रति सरकार जवाबदेह होती है। उन्होंने कहा कि शी जिनपिंग 600 दिनों में कोई दौरा नहीं किए हैं, लेकिन चीन में उनसे कोई यह सवाल नहीं कर सकता है।
प्रो. पंत ने कहा कि सैन्य शासन में भी इसी तरह की व्यवस्था है। वहां भी कोई विपक्ष नहीं होता है। शासक किसी भी तरह से जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होता है। इसके उलट लोकतांत्रिक व्यवस्था में कार्यपालिका और व्यवस्थापिका सीधे जनता के प्रति जवाबदेह होती है।
उन्होंने कहा कि कुछ दिन पूर्व उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन भी गायब हो गए थे। उस वक्त भी अटकलों का बाजार गर्म था। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि किम की सेहत ठीक नहीं है। उस वक्त किम की बहन की सक्रियता के कारण कुछ गलतफहमी भी पैदा हुई थी। हालांकि, बाद में बेहद नाटकीय अंदाज में उत्तर कोरियाई नेता किम प्रगट हुए थे।
उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट कुछ भी हो सकती है। सही भी हो सकती है। लेकिन यह व्यवस्था से भी जुड़ा हुआ सवाल भी है। कम्युनिस्ट व्यवस्था के कारण भी ऐसी स्थिति असहज नहीं मानी जा सकती है।
क्या है मीडिया रिपोर्ट
व्यक्तिगत मुलाकात बंद : मीडिया रिपोर्ट के अनुसार हालिया परिदृश्य यही संकेत देते हैं कि शी जिनपिंग किसी विदेशी नेता से नहीं मिल रहे हैं।
टेलीफोन वार्ता पर जोर: चीन में 600 दिनों से किसी विदेश नेता का दौरा नहीं हुआ है। खासकर ऐसा विदेशी नेता जिसका जिनपिंग से मिलने का कार्यक्रम हो। कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य कारणों से चीन के राष्ट्रपति फोन पर ही अधिक वार्ता कर रहे हैं। इस अवधि में उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन,जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल समेत 60 राष्ट्राध्यक्षों से टेलीफोन पर वार्ता कर चुके हैं।