कोरोना फैलाने के आरोपों पर चीनी 'बैट वुमेन' ने कहा- वैज्ञानिक निर्दोष...

दुनियाभर में 38 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर अब भी बवाल जारी है

Update: 2021-06-15 10:03 GMT

पेइचिंग: दुनियाभर में 38 लाख से ज्यादा लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर अब भी बवाल जारी है। अमेरिका समेत दुनिया के कई देश कोरोना वायरस के चीन के वुहान लैब से लीक होने की थ्योरी को सही मान रहे हैं, वहीं ड्रैगन इन दावों को शुरू से ही खारिज करता आया है। अब चीन की बैट 'वुमेन' नाम से मशहूर वैज्ञानिक शी जेंगली ने कोरोना वायरस के वुहान लैब लीक थ्योरी को लेकर अपना और अपने देश का बचाव किया है।

कोरोना पर लापरवाही से शोध करने का आरोप
चीन की शीर्ष वायरोलॉजिस्ट शी जेंगली ने एक दुर्लभ इंटरव्यू में कहा है कि वुहान में उसकी प्रयोगशाला के बारे में अटकलें निराधार हैं। लेकिन, चीन की आदतन गोपनीयता ने इस महिला वैज्ञानिक के दावों को स्वीकार करना मुश्किल बना दिया है। शी जेंगली वही वैज्ञानिक हैं, जिनके ऊपर वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में बैट कोरोना वायरस पर लापरवाही से शोध करने का आरोप लगाया गया था। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इन्हीं की लापरवाही से पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैला।
चीन के लिए हीरो से कम नहीं हैं जेंगली
वहीं, शी जेंगली चीनी जनता और वहां की सरकार के लिए किसी हीरो से कम नहीं हैं। यहां के लोग आज भी मानते हैं कि इन्हीं के कारण उनका देश कोरोना वायरस के घातक प्रभाव से बच पाया। लोगों का यह भी मानना है कि यह महिला वैज्ञानिक पश्चिमी देशों के दुर्भावनापूर्ण साजिश का शिकार है। अमेरिका का मानना है कि चीन के लैब से पैदा हुए इस वायरस की सच्चाई पूरी दुनिया के सामने आनी चाहिए।
निर्दोष वैज्ञानिक पर कीचड़ उछाल रही दुनिया
इस इंटरव्यू में शी जेंगली ने इन आरोपों का खंडन किया। उन्होंने पहले कहा कि वह अपने संस्थान की नीतियों का हवाला देते हुए पत्रकारों से सीधे बात नहीं करना पसंद करती हैं। फिर भी वह मुश्किल से अपनी हताशा पर काबू पा सकीं। उन्होंने गुस्सा होते हुए कहा कि मैं किसी ऐसी चीज के लिए सबूत कैसे पेश कर सकती हूं जहां कोई सबूत नहीं है? मुझे नहीं पता कि दुनिया कैसे इतनी नीचे आ गई है कि वह लगातार एक निर्दोष वैज्ञानिक पर गंदगी डाल रही है।
लैब लीक थ्योरी को लेकर अब भी कोई सबूत नहीं
दुनियाभर के वैज्ञानिक अब भी मानते हैं कि उनके पास कोरोना वायरस के लैब लीक थ्योरी को लेकर कोई खास सबूत नहीं हैं। इनमें से अधिकतर वैज्ञानिकों का मानना है कि लैब लीक थ्योरी को पूरी तरह से जांच के बिना ही खारिज कर दिया गया था। इसलिए, अब भी इस मामले की व्यापक जांच होनी चाहिए। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि डॉ शी जेंगली ने प्रयोगशालाओं में बैट कोरोना वायरस के साथ जोखिम भरे प्रयोग किए जो पर्याप्त सुरक्षित नहीं थे।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट से खड़े हुए सवाल
कई वैज्ञानिक अमेरिकी खुफिया एजेंसी के उस रिपोर्ट का समर्थन कर रहे हैं, जिसमें बताया गया था कि वुहान लैब के कई वैज्ञानिक अक्टूबर-नवंबर 2020 में कोविड संक्रमित पाए गए थे। अगर ये वैज्ञानिक शुरूआत में ही कोविड से संक्रमित हुए थे तो इससे वायरस के पैदा होने की जगह का पता लगाया जा सकता है। अमेरिकी रिपोर्ट के बाद चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे खारिज कर दिया था।
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